राष्ट्रपति चुनाव में किंगमेकर होंगी ये 3 राजनितिक दल? जानिए क्या है वोटों का समीकरण

18 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के लिए बुधवार को अधिसूचना जारी हो गई है। राष्ट्रपति पद के नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही सत्तापक्ष और विपक्ष सक्रिय हो गए हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के खिलाफ एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर आम सहमति बनाने के लिए बुधवार को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा बुलाई विपक्षी दलों की एक अहम बैठक में कम से कम 17 राजनीतिक दलों के नेता शरीक हुए। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों के बीच सहमति बनाने का जिम्मा दे रखा है। राष्ट्रपति चुनाव के शह-मात के खेल में असल किंगमेकर बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस और टीआरएस हैं।

AAP ने दिया ममता को झटका

विपक्ष को एकजुट करने में लगी पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली में हुई इस बैठक से कई विपक्षी दलों ने दूरी बना ली है। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी ममता की मीटिंग से किनारा कर लिया। ममता की बैठक में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (DMK), राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और वाम दलों के नेता बैठक में शरीक हुए, जबकि AAP, तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) और बीजू जनता दल (BJD) इससे दूर रहें। शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भाकपा-एमएल, नेशनल कांफ्रेंस(नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडपी) जद(से), आरएसपी, आईयूएएमएल, राष्ट्रीय लोकदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी बैठक में शरीक हुए।

यह बैठक, राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया जाना शुरू होने के दिन हुई है। एनसीपी के शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सुरजेवाला, जनता दल (सेक्युलर) के एच डी देवगौड़ा और एस डी कुमार स्वामी, सपा के अखिलेश यादव, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, नेशनल कांफ्रेस के उमर अब्दुल्ला बैठक में शरीक हुए प्रमुख नेताओं में शामिल थे।

इन दलों ने बनाई ममता की बैठक से दूरी

राष्ट्रीय राजधानी के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में हुई बैठक से आप, टीआरएस, बीजद के अलावा शिरोमणि अकाली दल ने दूरी बनाई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले हफ्ते सात मुख्यमंत्रियों सहित 19 दलों के नेताओं को राष्ट्रीय राजधानी में एक बैठक में शामिल होने का न्योता दिया था, ताकि 18 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों के बीच एक संयुक्त उम्मीदवार पर आम सहमति बन सके। बैठक से एक दिन पहले, ममता और वाम दलों के नेताओं ने एनसीपी प्रमुख से उनके आवास पर अलग-अलग मुलाकात की थी, ताकि उन्हें शीर्ष संवैधानिक पद के लिए विपक्ष का साझा उम्मीदवार बनने के लिए मनाया जा सके।

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ओवैसी का बड़ा बयान

इस बीच ममता की बैठक को लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान आया है। बैठक में नहीं बुलाए जाने से ओवैसी नाराज है हालांकि ओवैसी ने ये भी कहा कि अगर ममता बनर्जी उन्हें बैठक में बुलाती तो भी वो नहीं जाते क्योंकि उस मीटिंग में उन्होंने कांग्रेस को भी बुलाया है।

राष्ट्रपति चुनाव में जीत का आंकड़ा

राष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा, लोकसभा और विधानसभा के सदस्य वोट करते हैं। राज्यसभा में 233, लोकसभा में 543 और सभी राज्यों की विधानसभा में 4033 सीटें हैं तो  कुल मिलाकर इनकी संख्या 4809 हुई। विधायक और सांसद के वोटों की वैल्यू अलग-अलग होती है। राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए मतदाताओं के वोट की कुल वैल्यू 10,86,431 है। इस तरह राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए आधे से एक वोट ज्यादा की जरूरत होगी, जिसके लिहाज से कम से कम 5,43,216 वोट चाहिए होंगे।

राष्ट्रपति चुनाव में भले ही बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA का पलड़ा भारी हो, लेकिन अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए अन्य दलों के सहयोग की जरुरत होगी। बीजेपी और उसके सहयोगियों के पास कुल वोट का करीब 48 फीसदी वोट है। कुल वोट 10.86 लाख हैं तो उसमें बीजेपी प्लस के पास 5.26 लाख वोट हैं। बहुमत का आंकड़ा 5.43 लाख है।

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राष्ट्रपति चुनाव में बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस किंगमेकर

कांग्रेस, डीएमके, शिवसेना, आरजेडी और एनसीपी के वोटों की वैल्यू 2.59 लाख है। इसके अलावा टीएमसी, सपा, AAP, केरल की लेफ्ट पार्टी, केसीरआर, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस सहित बाकी विपक्षी दलों के कुल वोट 292894 वोट हैं। सारे विपक्ष के वोट मिला दें तो 51 फीसदी से ज्यादा हो रहा है इस तरह से एनडीए से करीब 2 फीसदी वोट ज्यादा है, जिसके चलते विपक्षा साझा उम्मीदवार उतारने के लिए मशक्कत कर रहा है। इस सूरत में केसीआर, बीजेडी और वाईएसआर की भूमिका अहम होगी।

बता दें कि 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को केसीआर की टीआरएस के साथ ही वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी का भी समर्थन मिला था। इस बार केसीआर विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं ऐसे में ये माना जा रहा है कि वे एनडीए का समर्थन नहीं करेंगे, लेकिन बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने अपने पत्ता नहीं खोले हैं। इस लिहाज से राष्ट्रपति चुनाव में ये दोनों ही दल किंगमेकर माने जा रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए बहुमत के आंकड़े से करीब 13,000 वोट दूर है ऐसे में फोकस वाईएसआर कांग्रेस बीजेडी पर आ गया है। अगर वाईएसआर कांग्रेस या बीजेडी का समर्थन एनडीए हासिल कर लेता है तो उम्‍मीदवार की जीत का रास्‍ता साफ हो जाएगा।