बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को लेकर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने बुधवार को बड़ा दावा किया है. प्रशांत किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संपर्क में हैं और अगर स्थिति की मांग हुई तो वह फिर से उस पार्टी के साथ गठजोड़ कर सकते हैं. नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने किशोर की टिप्पणी को खारिज करते हुए इसे भ्रामक बताया और कहा कि इसका मकसद भ्रम फैलाना है. प्रशांत किशोर इन दिनों बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं और उनकी इस यात्रा को सक्रिय राजनीति में आने के पहले के कदम के तौर पर देखा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जेडीयू सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के जरिए BJP के साथ संवाद के लिए एक रास्ता खुला रखा है. इस संबंध में हरिवंश ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. हालांकि JDU ने इस दावे को खारिज करते हुए जोर दिया कि नीतीश कुमार फिर कभी भाजपा से हाथ नहीं मिलाएंगे.
किशोर ने कहा, ‘जो लोग यह सोच रहे हैं कि नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय गठबंधन बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं, वे यह जानकर चकित रहे जाएंगे कि उन्होंने भाजपा के साथ रास्ता खुला रखा है. वह अपनी पार्टी के सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जी के जरिए भाजपा के संपर्क में हैं.’ उन्होंने कहा कि हरिवंश को इस कारण से अपने पद से इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा गया है, जबकि जद (यू) भाजपा से अलग हो गई है. उन्होंने कहा, ‘लोगों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि जब भी ऐसी कोई परिस्थिति आती है, तो वह भाजपा की ओर वापस जा सकते हैं और उसके साथ काम कर सकते हैं.’
जद (यू) ने किशोर की खिंचाई की और पार्टी प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि कुमार ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि वह अपने जीवन में फिर कभी भाजपा से हाथ नहीं मिलाएंगे. त्यागी ने कहा, ‘हम उनके दावे का खंडन करते हैं. कुमार 50 साल से अधिक समय से सक्रिय राजनीति में हैं, जबकि किशोर छह महीने से हैं. किशोर ने भ्रम फैलाने के लिए इस प्रकार की भ्रामक टिप्पणी की है.’
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किशोर ने अपनी पदयात्रा दो अक्टूबर को पश्चिम चंपारण के भितिहरवा स्थित गांधी आश्रम से शुरू की थी. वह व्यवस्था में ‘बदलाव’ की खातिर लोगों के समर्थन के लिए अगले 12-15 महीनों में 3,500 किलोमीटर की यात्रा करेंगे. वह करीब 18 महीने जेडीयू में थे. उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून जैसे विवादास्पद कदमों पर BJP को समर्थन देने के लिए नीतीश कुमार की तीखी आलोचना की थी. इसके बाद उन्हें 2020 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. नीतीश उस समय BJP के सहयोगी थे.