भाजपा सांसद वरुण गांधी ने ऑक्सफोर्ड यूनियन के उस आमंत्रण को ठुकरा दिया, जिसमें उनसे ‘प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सही रास्ते पर है या नहीं’ विषय पर आयोजित चर्चा में हिस्सा लेने का अनुरोध किया गया था. वरुण गांधी ने कहा है कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर घरेलू चुनौतियों को उठाने की कोई योग्यता या समग्रता नजर नहीं आती और इस तरह का कदम एक ‘अपमानजनक कार्य’ होगा. एक सूत्र ने बताया कि सरकार की नीतियों के खिलाफ हाल के दिनों में मुखर रहे वरुण ने आमंत्रण इसलिए ठुकराया, क्योंकि ऑक्सफोर्ड यूनियन चाहती थी कि वह इस प्रस्ताव के खिलाफ बोलें कि ‘यह सदन मोदी के भारत को सही रास्ते पर मानता है.’
आमंत्रण को अस्वीकार करते हुए वरुण गांधी ने ऑक्सफोर्ड यूनियन को अपने जवाब में कहा कि उनके जैसे नागरिकों को नियमित रूप से भारत में इस तरह के विषयों पर आसानी से चर्चा करने का अवसर मिलता रहता है. हालांकि, इस तरह की आलोचना भारत के भीतर नीति-निर्माताओं के लिए की जानी चाहिए और उन्हें देश के बाहर उठाना इसके हित के लिए प्रतिकूल होगा. वरुण गांधी ने कहा कि उनके जैसे राजनेताओं के बीच केंद्र और राज्य स्तर पर अलग-अलग नीतियों पर मतभेद हो सकते हैं, हालांकि, वे सभी भारत के उत्थान के लिए एक ही रास्ते पर हैं.
वरुण गांधी को ऑक्सफोर्ड के आमंत्रण में कहा गया था कि प्रधानमंत्री मोदी के शासन ने भारत को वैश्विक मंच पर अधिक प्रमुखता दी है, जिसमें कई लोग अपने नीतिगत एजेंडे को मजबूत आर्थिक विकास, भ्रष्टाचार से निपटने और ‘भारत पहले’ के साथ जोड़ते हैं. दूसरी ओर, कृषि क्षेत्र के भीतर बढ़ते असंतोष को गलत तरीके से संभालने, धार्मिक समूहों के बीच संघर्ष को ‘उकसाने’ और स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने में विफल रहने के लिए उनके प्रशासन की आलोचना की गई है.
वरुण गांधी को यह आमंत्रण ऐसे वक्त आया है जब उनके चचेरे भाई और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लंदन यात्रा के दौरान की गई हालिया टिप्पणियों को लेकर चर्चा गरम है. सत्तारूढ़ दल ने राहुल गांधी की टिप्पणियों को भारतीय लोकतंत्र के लिए ‘अपमानजनक’ बताया है. अप्रैल और जून के बीच प्रस्तावित बहस के लिए यह आमंत्रण संघ के अध्यक्ष मैथ्यू डिक की ओर से वरुण गांधी को भेजा गया था.
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जब लंदन में PTI ने 27 अप्रैल से 15 जून के बीच होने वाली साप्ताहिक बहस पर ऑक्सफोर्ड यूनियन से टिप्पणी मांगी, तो एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें इस पर कुछ नहीं कहना है.’