देश में कई बार सरकारी बाबू की जल्दबाजी और लापरवाही के कारण अजीबोगरीब मामले सामने आते हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के बांदा से सामने आया है। जानकारी के अनुसार जब एक पुजारी किसान अपनी फसल बेचने के लिए सरकारी मंडी में पहुंचा दो वहां के अधिकारी ने उसे भगवान राम का आधार कार्ड लाने को कहा। इतना ही नहीं पुजारी किसान के आधार कार्ड नहीं दे पानी की स्थिति में उसका पंजीकरण रद्द कर दिया गया। इस मामले कि सोशल मीडिया में आने के बाद जैसे लोगों ने प्रतिक्रियाओं की झड़ी लगा दी है। वही मंडी में मौजूद अधिकारी का कहना है कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है। उसका कहना है कि जमीन जिसके नाम से रजिस्टर है उसकी फसल को बेचने के लिए आधार कार्ड का होना आवश्यक है।
आखिर क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव के मंदिर की जमीन पर गेहूं गाकर उसे सरकारी मंडी में भेजना चाहा तो उससे वहां मौजूद अधिकारी ने जमीन मालिक का आधार कार्ड मांगा। यहां बता दें कि अधिकारी जमीन के मालिक का आधार कार्ड मांगने का हक रखते हैं। ताकि यह स्पष्ट हो सकेगी लाभार्थी किसान ही हो और उसके साथ कोई धोखाधड़ी ना हो। लेकिन परेशानी यह आ गई कि पुजारी किसान के पास जमीन के कागजात नहीं थे क्योंकि जमीन तो मंदिर के नाम पर रजिस्टर थी। यह बात पुजारी ने वहां मौजूद अधिकारी को भी बताई लेकिन उसने जल्दबाजी में कह दिया कि जिसकी जमीन है उसी का आधार कार्ड लगेगा वरना आप का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया जाएगा।
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क्या कहा पुजारी ने
पुजारी ने सरकारी मंडी से आकर एक निजी दलाल के माध्यम से गेहूं बेच दिया। पुजारी का कहना है कि वह मंदिर के भगवान श्रीराम का आधार कार्ड कहां से बनवा कर लाए। पुजारी ने बताया कि वह मंदिर की जमीन पर गेहूं उपजा लेता है और जब भंडारा या अन्य कोई आयोजन होते हैं तो उसी से काम चल जाता है। उसने बताया कि इस वर्ष भी फसल हुई थी इसीलिए मंदिर समिति ने निर्णय लिया था कि 100 क्विंटल गेहूं बेच दिया जाए।