पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इन दिनों फिर चर्चा में हैं। चर्चा उनके शराबबंदी अभियान को लेकर है। इसी बीच उन्होंने रविवार रात एक के बाद एक 41 ट्वीट किए और अपनी कई पीड़ा उजागर की। गंगा सफाई अभियान मंत्री होने के दौरान विभाग बदलने की पीड़ा को भी उन्होंने सार्वजनिक किया। उमा भारती ने कहा कि उन्होंने गंगा की अविरलता को बचाने के लिए अनुशासनहीनता की थी। यही वजह थी कि उनका विभाग बदल दिया गया था।

मैंने तथा मेरे गंगा निष्ठ सहयोगी अधिकारियों ने बिना किसी से परामर्श किए कोर्ट में एफिडेविट प्रस्तुत कर दिया। उस एफिडेविट पर ऊर्जा एवं पर्यावरण मंत्रालय एवं उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र रावत जी की सरकार ने अपनी असहमति दर्ज की। फिर कोर्ट ने तुरंत केंद्र सरकार से परामर्श करके उस एफिडेविट को अमान्य कर दिया। वह तो आज भी कोर्ट की संपत्ति है और शायद केंद्र की सरकार उसके विपरीत नया एफिडेविट पेश नहीं कर पाई है। स्वाभाविक है कि मैंने अनुशासनहीनता की, मुझे तो मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी किया जा सकता था लेकिन गंगा की अविरलता तो बच गई।
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अमित शाह जी, जो हमारे उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, वह गंगा की अविरलता के पक्ष में हमेशा रहे। उन्हीं के हस्तक्षेप से मुझे निकाला नहीं गया किंतु विभाग बदल दिया गया, इतना तो होना ही था। विभाग नितिन गडकरी जी के पास पहुंचा और उन्होंने मुझे कभी गंगा से अलग नहीं किया। मुझे गंगा से जोड़ेे रखने की राह वह निकालते रहे जिस पर अमित शाह जी का भी समर्थन रहा। अमित जी अब केंद्र में गृह मंत्री हैं किंतु तब वह पार्टी के अध्यक्ष थे एवं उन्हीं की बात मानकर मैंने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था।
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