ITBP को मटन, चिकन और मछली उपलब्ध कराएंगे उत्तराखंड के तीन जिले, धामी सरकार ने लिया निर्णय

देहरादून: उत्तराखंड की सत्तारूढ़ धामी सरकार ने हिमालयी राज्य के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। दरअसल, मंत्रिमंडल ने बीते बुधवार को पशुपालन विभाग के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसके तहत तीन सीमावर्ती जिलों उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ के पशुपालकों को फायदा होगा।मंत्रिमंडल के अनुसार, लगभग 10,000 बकरीपालक, 1,000 मुर्गीपालक और मछली पालन से जुड़े 500 लोग राज्य सहकारी समितियों के माध्यम से भारत तिब्बत सीमा पुलिस ( ITBP ) को मटन, चिकन और मछली उपलब्ध कराएंगे।

धामी सरकार ने आवंटित किया फंड

इस परियोजना का लक्ष्य पांच साल की अवधि में तीन जिलों के लिए 200 करोड़ रुपये का कारोबार पैदा करना है।

परियोजना को सुविधाजनक बनाने के लिए, राज्य सरकार ITBP के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है। दरअसल, अनुमान लगाया जा रहा है कि ITBP को भुगतान की प्रक्रिया में दो महीने तक का समय लग सकता है। इस वजह से शुरुआती चरण के लिए, सरकार ने 5 करोड़ रुपये की एक रिवॉल्विंग फंड और अतिरिक्त 4 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस फंड का आवंटन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि किसानों को आपूर्ति के दो दिनों के भीतर भुगतान प्राप्त हो।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने हाल ही में परियोजना की तैयारियों पर चर्चा करने के लिए राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।

इस बात की जानकारी देते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह परियोजना सीमावर्ती जिलों के आर्थिक परिदृश्य को बदलने के मामले में एक गेम चेंजर साबित होगी, जहां कमाई के अवसर सीमित हैं। उन्होंने कहा कि शुरुआती चरण में, तीन जिले आपूर्ति प्रदान करेंगे और कमी के मामले में, हम परियोजना में और जिलों को शामिल कर सकते हैं।

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धामी ने यह भी कहा कि सरकार ने बाजार दरों और ITBP दरों में अंतर को दूर करने के साथ-साथ किसानों के लिए समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए 5 करोड़ रुपये की रिवॉल्विंग फंड और 4 करोड़ रुपये की अतिरिक्त निधि को मंजूरी दी है।

सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने आगे की जानकारी देते हुए कहा कि यह परियोजना मार्च 2023 में शुरू होने वाली है, जिसकी तैयारियां चल रही हैं। लॉन्च से छह महीने पहले, तीनों जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में मुर्गी पालन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

पुरुषोत्तम ने कहा कि इन क्षेत्रों में मछली पालन में शामिल चरवाहों और व्यक्तियों की एक बड़ी संख्या पहले से ही सक्रिय है, और स्थानीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए और अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा।