चंद्रशेखर से ऐसे बने थे वो आजाद, हर कोड़े पर करते रहे वन्दे मातरम का उद्घोष

चंद्रशेखर आजाद की आज 90वी पुण्यतिथि है। आज ही के दिन भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी ने “आजाद है आजाद रहेंगे” का नारा लगाते हुए खुद पर गोली चला ली थी। आजाद उन स्वतंत्रता सेनानीयों में से एक थे जिन्हें पकड़ने के लिये अंग्रेजो के छक्के छूट गए थे। आइये आज उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर जानते है उनके बारे में कुछ रोचक जानकारी

मध्य प्रदेश में हुआ था जन्म

चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को हुआ था। उनका जन्म मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा में हुआ था। आजादी का जूनून चनद्रशेखर पर इस कदर हावी था की वे मात्र 14 वर्ष की आयु में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़कर आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे।

कोड़े खाते रहे वन्दे मातरम कहते रहे

आजाद जब 14 वर्ष के थे तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। जब उन्हें जज के सामने पेश किया गया तो जज ने उनसे उनका नाम पूछा तब चन्द्रशेखर ने अपना नाम आजाद बताया। पिता का नाम स्वतंत्रता बताया और अपना पता जेल बताया। इसके बाद जज ने आजाद को 15 कोड़े लगाने का दंड दिया। आजाद ने भी तब अपना स्वतंत्रता और मातृभूमि के प्रति प्रेम दिखाते हुए हर कोड़े पर वन्दे मातरम का उद्घोष करते रहे। इस नाम के बाद से ही उन्हें आजाद नाम से पुकारा जाने लगा।

आजाद है आजाद रहेंगे

चद्रशेखर आजाद हमेशा कहा करते थे ,” दुश्मनो की गोलियों का सामना हम करेंगे, आजाद है हम आजाद ही रहेंगे। ” आजाद के इस नारे का उस समय हर युवा पर काफी असर हुआ करता था। और हर कोई इस नारे को लगाया करता था।

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अंतिम समय में भी नहीं आये अंग्रेजो के हाथ

आजाद इलाहबाद के अल्फ्रेड पार्क में अपने साथी सुखदेव और अन्य मित्रों के साथ योजना बना रहे थे ,तभी अचानक से पुलिस ने उन पर हमला कर दिया। आजाद ने तब सुखदेव को वहां से भगाने के लिए खुद अंग्रेजो पर गोलीबारी करनी शुरू कर दी। अंग्रेजो की गोलियों से बुरी तरह घायल आजाद करीब 20 मिनट तक अंग्रेजो के साथ लड़ते रहे और आखिर में जब उनके बंदूक में एक ही गोली बची तब उन्होंने अपने नारे ,”आजाद है आजद रहेंगे ” को लगाते हुए अपने ऊपर गोली चला दी।