गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्रियों को लेकर उठ रहे विवाद पर विराम लगा दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय को पीएम मोदी की ग्रेजुएशन डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री सर्टिफिकेट दिखाने की कोई जरूरत नहीं है। आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कई विपक्षी दलों ने मांग उठाई थी कि पीएम नरेंद्र मोदी को अपनी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री सार्वजनिक करनी चाहिए।

कोर्ट ने रद्द किया मुख्य सूचना आयोग का आदेश
अपने फैसले में जस्टिस बीरेन वैष्णव की सिंगल बैंच ने मुख्य सूचना आयोग के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें पीएमओ के जन सूचना अधिकारी और गुजरात विश्वविद्यालय के साथ-साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी के जन सूचना अधिकारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएस डिग्री की डिटेल सार्वजनिक करने को कहा गया था।
सीएम केजरीवाल पर 25 हजार का जुर्माना
इसके अलावा हाईकोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ऊपर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्रियां सार्वजनिक करने की मांग की थी। आपको बता दें कि इस मामले को लेकर गुजरात यूनिवर्सिटी ने हाईकोर्ट में मुख्य सूचना आयोग के आदेश को चुनौती दी थी, जिसपर अदालत ने आज फैसला सुनाया।
‘मुद्दे से नहीं जुड़ा कोई जनहित’ ‘बार एंड बैंच’
वेबसाइट की खबर के मुताबिक, इस मामले में गुजरात यूनिवर्सिटी की ओर से पैरवी करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया, ‘एक लोकतंत्र में अगर कोई व्यक्ति इस पद पर आसीन है, तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो डॉक्टरेट है या अनपढ़ है। साथ ही इस मुद्दे से कोई जनहित का मामला भी नहीं जुड़ा है। हां, डिग्रियां सार्वजनिक करने से उनकी प्राइवेसी पर जरूर असर पड़ता है।’
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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था कि उन्होंने साल 1978 में गुजरात यूनिवर्सिटी से अपने ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी की थी। जबकि, उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से की थी।
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