नयी दिल्ली। सरकारी सूत्रों ने कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के एक मंत्री द्वारा 2013 में संसद में दिए गए एक जवाब का हवाला देते हुए शनिवार को इस बात पर बल दिया कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों में राष्ट्रीय आपदा जैसी कोई अवधारणा मौजूद नहीं है। यह स्पष्टीकरण ऐसे वक्त में आया है जब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी तथा अन्य नेता केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि तत्कालीन गृह राज्य मंत्री एवं केरल से कांग्रेस सांसद मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने 2013 में एक प्रश्न के उत्तर में लोकसभा में कहा था कि प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है। उत्तर में कहा गया था कि भारत सरकार कई स्थितियों के आधार पर यह तय करती है कि आपदा की प्रकृति क्या है जिसमें इसकी तीव्रता, राहत सहायता का स्तर, समस्या से निपटने में राज्य सरकार की क्षमता, और सहायता तथा राहत प्रदान करने के लिए योजना के भीतर उपलब्ध विकल्प आदि को ध्यान में रखा जाता है।
प्राकृतिक आपदा के संदर्भ में तत्काल राहत और सहायता प्रदान करना प्राथमिकता है। उन्होंने कहा था कि तो कोई निर्धारित मानदंड नहीं है। जवाब में कहा गया था कि हालांकि, गंभीर प्रकृति की आपदा के लिए, स्थापित प्रक्रिया का पालन करने के बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (एनडीआरएफ) से अतिरिक्त सहायता पर भी विचार किया जाता है। उन्होंने जवाब में यह भी कहा था कि प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर आवश्यक बचाव और राहत उपाय करने की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की है।
उस समय संसद में पूछा गया था कि क्या सरकार ने देश में आई गंभीर प्रकृति की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए कोई मानदंड तय किए हैं जिसका रामचंद्रन जवाब दे रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज वायनाड का दौरा कर रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वायनाड से 2019 और 2024 में लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी और उन्होंने केंद्र से इस त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है।