राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लखनऊ स्थित क्षेत्र कार्यालय ‘भारती भवन’ का सड़क मार्ग से जुड़ा मुख्य द्वार गुरु गोविंद सिंह के नाम से जाना जायेगा। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और महापौर संयुक्ता भाटिया ने मंगलवार को श्रीगुरु तेगबहादुर जी के 400वें पावन प्रकाश पर्व पर नवनिर्मित ‘गुरु गोविंद सिंह द्वार तथा गुरु तेगबहादुर मार्ग का उद्घाटन किया। अब संघ कार्यालय तक पहुंचने के लिए ‘ गुरु गोविंद सिंह द्वार’ से होकर जाना होगा।
इस मौके पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि गुरु नानक देव की शिक्षाएं पहले जितनी प्रासंगिक थीं, उतनी आज भी प्रासंगिक हैं। इन्हें जन-जन तक पहुंचाएं, ताकि सभी लोग इनकी शिक्षाओं से प्रेरणा प्राप्त कर सत्य, प्रेम, अहिंसा, शांति, एकता और सद्भाव के रास्ते पर चलकर देश को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग दे सकें। कहा कि महा पुरुषों की शिक्षाओं पर ही चलकर हमारा देश एक बार फिर विश्व गुरु बन सकता है।
यह द्वार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से संघ कार्यालय भारती भवन के ठीक सामने लखनऊ नगर निगम की ओर से बनवाया गया है। उत्तर प्रदेश में संघ कार्यालय के ठीक सामने यह पहला द्वार है, जो सिखों के गुरु गोविंद सिंह के नाम से तथा मार्ग को गुरु तेगबहादुर के नाम से जाना जायेगा।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मेरे लिए अत्यंत गर्व की बात है कि आज मुझे लखनऊ नगर निगम के सहयोग से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यालय ‘भारती भवन’ के सामने श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें पावन प्रकाश पर्व को समर्पित सिख धर्म के गुरु गोविन्द सिंह जी के नाम से नवनिर्मित ‘गुरु गोविन्द सिंह द्वार’ तथा गुरु तेग बहादुर सिंह मार्ग के लोकार्पण समारोह में आने का अवसर प्राप्त हुआ। इस मौके पर उन्होंने मां दुर्गा की आराधना एवं उपासना के पावन पर्व पर सभी को शुभकामनाएं दीं।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के आदर्श शिक्षाओं के प्रचार- प्रसार एवं सिख परम्परा को आगे बढ़ाने की दिशा में गुरु अंगद देव, गुरु अमर दास, गुरु राम दास, गुरु अर्जुन देव, गुरु हरि गोविन्द साहब, गुरु हरि राय, गुरु हरि कृष्ण, गुरु तेग बहादुर तथा गुरु गोविन्द सिंह ने बड़ा महान कार्य किया है।
गुरु तेग बहादुर थे क्रान्तिकारी युग पुरूष
उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर सिंह एक क्रान्तिकारी युग पुरुष थे। गुरू तेग बहादुर सिंह जी ने अपने युग के शासन वर्ग की नृशंस एवं मानवता विरोधी नीतियों को कुचलने के लिए बलिदान दिया। वास्तव में मानवता के शिखर पर वही मनुष्य पहुंच सकता है, जिसने ‘पर में निज’ को पा लिया हो। कहा कि गुरु तेग बहादुर सिंह जी के आदर्श जीवन हम सभी को ईश्वरीय निष्ठा के साथ समता, करूणा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे मानवीय गुणों के लिए प्रेरित करता है।
गुरु गोविंद सिंह ने जुल्म और पाप को समाप्त करने का उठाया था बीड़ा
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी एक महान योद्धा के साथ ही एक कवि और आध्यात्मिक व्यक्ति थे। उन्होंने 1699 में वैशाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की, जो सिख धर्म के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। उन्होंने जुल्म और पाप को समाप्त करने का बीड़ा उठाया और गरीबों एवं असहायों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे। वे विश्व के सबसे बड़े बलिदानी पुरुष हैं। उन्होंने सदा प्रेम, एकता एवं भाईचारे का संदेश दिया। वे बचपन से ही सरल, सहज और भक्तिभाव वाले कर्मयोगी थे। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग, सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है।
कला, साहित्य एवं संस्कृति मानव जीवन के अभिन्न अंग: मुख्यमंत्री धामी
इस अवसर पर लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया, प्रदेश के विधि एवं कानून मंत्री बृजेश पाठक ने भी लोगों को सम्बोधित किया। इस मौके पर क्षेत्र प्रचारक अनिल कुमार, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के प्रचार प्रमुख कृपा शंकर, प्रान्त प्रचारक कौशल कुूमार, प्रशान्त भाटिया, सरदार विजेन्दर पाल सिंह, मंजीत सिंह तलवार समेत सैकड़ों की संख्या में सिख समुदाय के लोग तथा अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।