भोजपुर मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में है, जो अब इसे भव्य रूप देने की तैयारी में जुट गया है
भोपाल। अब भोजपुर मंदिर पुराने स्वरूप में नजर आएगा। केन्द्र सरकार ने इसके बचे हुए निर्माण कार्य को पूरा कराने का काम शुरू कर दिया है। विश्व संवाद केन्द्र मध्य प्रदेश के ट्विटर पर इसकी जानकारी दी गई है। जिसमें लिखा है कि यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में है, जो अब इसे भव्य रूप देने की तैयारी में जुट गया है। भोजपुर मंदिर के नाम से विख्यात यह शिवालय वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है।
बता दें कि भोजपुर मध्य प्रदेश के विदिशा से 45 मील की दूरी पर रायसेन जिले में वेत्रवती नदी के किनारे बसा है। प्राचीनकाल का यह नगर उत्तर भारत का सोमनाथ कहा जाता है। गांव से लगी हुई पहाड़ी पर एक विशाल शिव मंदिर है। इस नगर तथा उसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध राजा भोज ने 1010 से 1053 ईसवीं में किया था। इसलिये इसे भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है।
मंदिर पूर्ण रुपेण तैयार नहीं बन पाया। इसका चबूतरा बहुत ऊंचा है, जिसके गर्भगृह में एक बड़ा- सा पत्थर के टूकड़े का पॉलिश किया गया लिंग है, जिसकी ऊंचाई 3.85 मी. है। इसे भारत के मंदिरों में पाये जाने वाले सबसे बड़े लिंगों में से एक माना जाता है। विस्तृत चबूतरे पर ही मंदिर के अन्य हिस्सों, मंडप, महामंडप तथा अंतराल बनाने की योजना थी। ऐसा मंदिर के निकट के पत्थरों पर बने मंदिर- योजना से संबद्ध नक्शों से इस बात का स्पष्ट पता चलता है। इस मंदिर के अध्ययन से हमें भारतीय मंदिर की वास्तुकला के बारे में बहुत- सी बातों की जानकारी मिलती है।
यह भी है खास
राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है भोजपुर नामक एक स्थान। यहां स्थापित है एक प्रसिद्ध मध्यकालीन शिव मंदिर है, जो भोजेश्वर शिव मंदिर के नाम विख्यात है।