दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति का मामला गुरुवार को राज्यसभा में गूंजा। सरकार ने कहा कि रिक्त पदों को भरना एक सतत प्रक्रिया है और मौजूदा शैक्षणिक वर्ष में लगभग 56 तदर्थ शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। दिल्ली सरकार और डीयू के तमाम कॉलेजों में इस समय तीन हजार से अधिक तदर्थ शिक्षक कार्यरत हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों में अकादमिक वर्ष 2020-21 में लगभग 56 तदर्थ शिक्षक नियुक्त किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि रिक्त पदों को भरना एक सतत और निरंतर प्रक्रिया है। रिक्तियां सेवानिवृत्ति, त्यागपत्र, प्रतिनियुक्ति, मृत्यु, नए संस्थानों खोलने और विस्तार के कारण उत्पन्न होती हैं। संसद के एक अधिनियम के तहत सिर्फ एक स्वायत्त निकाय होने के नाते पदों को भरने का अधिकार विश्वविद्यालय का है। यूजीसी विनियमों के अनुसार विश्वविद्यालय प्रणाली में सभी स्वीकृत अथवा अनुमोदित पदों को तत्काल आधार पर भरा जाना है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के साथ-साथ शिक्षा मंत्रालय इस प्रक्रिया की निरंतर निगरानी कर रहा है।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने जुलाई 2019 में प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर के कुल 857 स्थाई संकाय पदों का विज्ञापन दिया है। कॉलेजों में नियुक्तियां निर्धारित प्रक्रियाओं के संदर्भ में कॉलेजों के शासी निकाय (गवर्निंग बॉडी) द्वारा की जाती हैं। विश्वविद्यालय ने सूचित किया है कि सभी रिक्त पदों को समयबद्ध तरीके से भरा जाना सुनिश्चित करने के लिए वह हर संभव प्रयास कर रहा है।
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विशम्भर प्रसाद निषाद, चौधरी सुखराम सिंह यादव और छाया वर्मा ने पूछा था कि दिल्ली विश्वविद्यालय में वर्तमान में कितने तदर्थ शिक्षक कार्यरत हैं और पिछले पांच सालों के दौरान कितने तदर्थ शिक्षकों को नियुक्ति दी गई है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं किए जाने के कारण और उनके समाधान के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी मांगी थी। साथ ही जनवरी 2021 में शुरू किए गए तदर्थ शिक्षकों के साक्षात्कार की प्रक्रिया को मंत्रालय के दिसम्बर 2019 के आदेश का उल्लंघन बताया।