कोरोना वायरस का प्रकोप दुनिया के शीर्ष पर्वतों में से एक माउंट एवरेस्ट पर भी पहुंच गया है। हाल में नॉर्वे के एक पर्वतारोही अर्लेंड नेस में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। इस खबर के बाद से ही नेपाल की बंपर पर्वतारोहियों के आने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। नेपाल ने इलाज की मुश्किलों के बावजूद ज्यादा से ज्यादा पर्वतारोहियों को आकर्षित करने के लिए क्वारंटीन नियमों में ढील दी थी।
नेस को चट्टानों से हेलिकॉप्टर की मदद से निकाला गया है। एवरेस्ट पर बेस कैंप में समय बिताने के बाद फिलहाल उनका नेपाल की राजधानी काठमांडू के अस्पताल में इलाज चल रहा है। नेस का इंटरव्यू करने वाले नॉर्वेजियन ब्रॉडकास्टर ने कहा था कि उनके दल में शामिल शेरपा भी संक्रमित पाया गया है। उन्होंने कहा ‘मैं वास्तव में यह उम्मीद करता हूं कि पहाड़ की ऊंचाई पर कोई और संक्रमित नहीं होगा। जब लोग 8 हजार मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर होते हैं, तो उन्हें हेलिकॉप्टर से निकालना नामुमकिन हो जाता है।’
नेस ने बताया ‘प्लन यह था कि जल्द से जल्द चोटी पर पहुंच जाएं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम संक्रमित नहीं होंगे।।।’ काठमांडू के एक अस्पताल ने एवरेस्ट से मरीजों के आने की बात की पुष्टि की है। हालांकि, उन्होंने किसी आंकड़े की जानकारी नहीं दी। AFP से बातचीत में CIWEC अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर प्रतिभा पांडे ने कहा ‘मैं जानकारी साझा नहीं कर सकती, लेकिन एवरेस्ट से निकाले गए कुछ लोग पॉजिटिव आए हैं।’
वहीं, नेपाल के पर्यटन विभाग की प्रवक्ता मीरा आचार्य ने कहा कि उन्हें अभी तक किसी पर्वतारोही में कोविड-19 की रिपोर्ट नहीं मिली है। उन्होंने कहा ‘एक व्यक्ति को 15 अप्रैल को निकाला गया था, लेकिन हमें जानकारी दी गई थी कि वो निमोनिया से जूझ रहा है और आइसोलेशन में इलाज जारी है। हमें कुल मिलाकर यही जानकारी मिली है।’ एशियन ट्रैकिंग के दावा स्टीवन शेरपा कहते हैं कि बेस कैंप पर मौजूद सभी लोग चिंतित थे।
यह भी पढ़ें: दम तोड़ती जिंदगियों के बीच लगातार जारी है ‘सांसों की कालाबाजारी’, 54 सिलेंडर बरामद
नेपाल ने इस साल पहाड़ चढ़ने के लिए 377 परमिट जारी किए हैं। कहा जा रहा है कि यह आंकड़ा 2019 में जारी हुए 381 परमिट के आंकड़े को पार कर जाएगा। बीते कुछ समय में एवरेस्ट फतह की कोशिश करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। इसकी वजह से भीड़ जमा हुई और दावा किया जाता है कि भीड़ की वजह से कई मौतें हुईं। 2019 में 11 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 4 मौतों का कारण भीड़ को माना जा रहा था।