गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली स्थित लाल किला में हुई हिंसा की जांच को लेकर किसान नेता ने बड़ी मांग कर दी है। दरअसल, हरियाणा किसान यूनियन ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए कहा है कि 26 जनवरी को लाल किले पर हुई घटना की जहां स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से जांच होनी चाहिए। इस मामले में गिरफ्तार किए गए किसानों को बिना किसी देरी के छोड़ना चाहिए।
किसान नेता ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
हरियाणा किसान यूनियन के प्रधान रणधीर सिंह रेढू, अर्थशास्त्री प्रो.रघबीर चंद गोयल तथा अध्यात्मविद्ध बलजीत सिंह ईगराह ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ने आजतक कभी भी किसी अहिंसक प्रजातांत्रिक आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया इसलिए वह किसानों के मन को नहीं समझ सके। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा शांतिपूवर्क आंदोलन कर रहे किसानों को देशद्रोही, खालिस्तानी कहना पूरी तरह से निंदनीय है।
कृषि कानूनों को वापस लिए जाने, गिरफ्तार किसानों को तुरंत रिहा किए जाने, किसान आंदोलन के दौरान अब तक शहीद हुए किसानों को मुआवजा दिए जाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने हरियाणा में कई दिनों तक इंटरनेट सेवाएं बाधित करके आमजन को नुकसान पहुंचाया है। भविष्य में सरकार अगर ऐसी कोई कार्रवाई करती है तो हरियाणा किसान यूनियन इसका कड़ा विरोध करेगी।
एडवोकेट रेढू ने कहा कि तीन महीने से आंदोलन कर रहे किसान मानसिक दबाव में हैं। जिस कारण वह आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। रेढू ने कहा कि उनका संगठन धरना स्थलों पर जाकर कांउसलिंग का प्रबंध करेगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा किसान यूनियन के कार्यकर्ता बहुत जल्द गांव-गांव जाकर न केवल किसानों को जागरूक करेंगे बल्कि किसानों की कर्ज माफी के लिए भी अभियान चलाया जाएगा।
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उन्होंने कहा कि हरियाणा किसान यूनियन द्वारा बहुत जल्द आईटी सैल का गठन करके किसानों को सोशल मीडिया के साथ जोडक़र न केवल महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाएंगी बल्कि संगठन से जुड़े वकीलों द्वारा किसानों को मुफ्त परामर्श भी दिया जाएगा।