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बैंकों की लोन देने की क्षमता बढ़ेगी, RBI ने 50,000 करोड़ रुपये का दिया है बूस्टर डोज, 18 दिसंबर को मिलेगा एक और बड़ा बूस्ट

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग सिस्टम में तरलता बढ़ाने के लिए गुरुवार को ओपन मार्केट से 50,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियां खरीदी हैं. RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा पहले ही यह संकेत दे चुके थे कि दिसंबर महीने में सेंट्रल बैंक कुल 1 लाख करोड़ रुपये की प्रतिभूतियों की खरीद करेगा. इस कदम से बैंकों के पास अधिक नकदी उपलब्ध होगी और उनकी लोन देने की क्षमता बढ़ेगी.

आरबीआई का प्लान अभी दो चरणों में सिक्योरिटीज खरीदने का है, जिनमें से पहले चरण के तहत 50,000 करोड़ रुपये की सरकारी सिक्योरिटीज की खरीद पूरी हो चुकी है, जबकि दूसरा चरण 18 दिसंबर को किया जाएगा, जिसमें इतनी ही राशि की प्रतिभूतियां और खरीदी जाएंगी. ये प्रतिभूतियां 4 साल से लेकर 25 साल तक की अलग-अलग अवधि वाली हैं. RBI ने जिन सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद की है, उनमें 2029 में परिपक्व होने वाली 6,638 करोड़ रुपये की सिक्योरिटीज 6.75 प्रतिशत पर, 2031 की 15,316 करोड़ रुपये की सिक्योरिटीज 7.02 प्रतिशत पर और 2032 की 21,189 करोड़ रुपये की सिक्योरिटीज 7.26 प्रतिशत की दर पर खरीदी गई हैं.

ये हैं सिक्योरिटीज के रेट्स
इसके अलावा, 2034 में मैच्योर होने वाली 1,033 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां 6.79 प्रतिशत पर, 2036 की 3,942 करोड़ रुपये की सिक्योरिटीज 7.54 प्रतिशत पर, 2039 की 657 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां 6.92 प्रतिशत पर और 2050 में परिपक्व होने वाली 1,225 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां 6.67 प्रतिशत की दर पर खरीदी गई हैं. RBI का यह कदम बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराने और क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है.

आरबीआई के फैसले
भारतीय रिजर्व बैंक न सिर्फ बैंकिंग सेक्टर की स्थिरता पर ध्यान देता है, बल्कि अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए भी लगातार कदम उठाता है. इसी के तहत आरबीआई ने इस साल चौथी बार रेपो रेट में 0.25% की कमी की है, जिससे यह घटकर 5.25% पर पहुंच गया है. कुल मिलाकर वर्ष की शुरुआत से अब तक रेपो रेट में 1.25% की कटौती हो चुकी है. रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक आरबीआई से उधार लेते हैं.

इसमें कमी आने से बैंकों को कम लागत पर फंड मिलता है, जिसका फायदा वे ग्राहकों को सस्ती ईएमआई जैसे होम लोन और ऑटो लोन के रूप में देते हैं. यह निर्णय आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के उद्देश्य से लिया गया है, क्योंकि वर्तमान में जीडीपी ग्रोथ उम्मीद से बेहतर है और महंगाई दर भी आरबीआई के 4.0% के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है.