देश में फैले कोरोना संकट के बीच वैक्सीनेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार को रडार में लिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से निर्देश देते हुए कहा है कि वह कोरोना वैक्सीनेशन नीति पर तैयार किये गए प्रासंगिक दस्तावेजों और फ़ाइल नोटिंग को अपने रिकॉर्ड में रखे। साथ ही शीर्षतम अदालत ने केंद्र को वैक्सीनेशन की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश भी सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को दिया निर्देश
इस मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 30 जून निर्धारित किया है. तबतक सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 2 सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
न्यूज पोर्टल से मिली जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह भी नोट करते हैं कि केंद्र सरकार ने अपने 09 मई के हलफनामे में कहा है कि प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपनी आबादी को मुफ्त टीकाकरण प्रदान करेगा। यह महत्वपूर्ण है कि अलग-अलग राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार इस न्यायालय के समक्ष इस स्थिति की पुष्टि/अस्वीकार करें। शीर्ष कोर्ट ने आगे कहा कि हम प्रत्येक राज्य सरकारों को 2 सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं, जहां वे अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे और अपनी व्यक्तिगत नीतियों को रिकॉर्ड में रखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने 09 मई के हलफनामे में कहा है कि प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपनी आबादी को मुफ्त टीकाकरण प्रदान करेगा। यह महत्वपूर्ण है कि अलग-अलग राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार इस न्यायालय के समक्ष इस स्थिति की पुष्टि/अस्वीकार करें। शीर्ष कोर्ट ने आगे कहा कि हम प्रत्येक राज्य सरकारों को 2 सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं, जहां वे अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे और अपनी व्यक्तिगत नीतियों को रिकॉर्ड में रखेंगे।
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सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यदि उन्होंने (राज्य/केंद्र शासित प्रदेश) अपनी आबादी का मुफ्त में टीकाकरण करने का फैसला किया है, तो यह महत्वपूर्ण है कि यह नीति उनके हलफनामे के साथ संलग्न की जाए ताकि उनके क्षेत्रों के भीतर की आबादी को राज्य टीकाकरण केंद्र में मुफ्त में टीकाकरण के अधिकार का आश्वासन दिया जा सके।