सुप्रीम कोर्ट ने मामलों के हस्तांतरण की NTA की याचिका पर नोटिस जारी की

नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को नीट-यूजी विवाद पर विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों को शीर्ष अदालत में हस्तांतरित करने के अनुरोध वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी की याचिका पर निजी पक्षों को नोटिस जारी किया।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के वकील की इस दलील का संज्ञान लिया कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में अनेक याचिकाएं लंबित हैं जिनमें ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक’ (नीट-यूजी), 2024 को प्रश्नपत्र लीक होने और अन्य गड़बड़ियों के आरोपों में निरस्त करने की मांग की गई है। पीठ ने नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए कहा कि आठ जुलाई को इस पर सुनवाई होगी।

इस बीच एनटीए ने कहा कि वह मामलों को उच्च न्यायालयों से उच्चतम न्यायालय में हस्तांतरित करने के अनुरोध वाली तीन अन्य याचिकाओं को वापस लेना चाहती है क्योंकि वे पांच मई को परीक्षा के दौरान समय बर्बाद होने के आधार पर 1,563 उम्मीदवारों को कृपांक दिए जाने से संबंधित हैं।

एनटीए के वकील ने कहा कि मुद्दे का निपटारा हो गया है और वह 1,563 अभ्यर्थियों को दिए गए कृपांक को निरस्त करने के 13 जून के शीर्ष अदालत के आदेश के बारे में उच्च न्यायालय को सूचित कर देंगे। नीट-यूजी परीक्षा को लेकर बढ़ते विवाद के बीच एनटीए ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित नीट-यूजी, 2024 के 1,563 अभ्यर्थियों को कृपांक (ग्रेस मार्क) देने के फैसले को निरस्त कर दिया गया है और उन्हें 23 जून को पुन: परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा। परीक्षा 5 मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी और लगभग 24 लाख उम्मीदवारों ने इसमें भाग लिया था।

परिणाम 14 जून को घोषित होने की उम्मीद थी, लेकिन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पहले ही होने पर नतीजे 4 जून को घोषित कर दिए गए। अनियमितताओं के आरोपों के चलते कई शहरों में प्रदर्शन किए गए और देश के सात उच्च न्यायालयों एवं शीर्ष न्यायालय में मामले दाखिल किए गए। दिल्ली में 10 जून को बड़ी संख्या में छात्रों ने प्रदर्शन किया और कथित धांधली की जांच की मांग की।