सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ लगे आरोपों की सीबीआई जांच के बांबे हाईकोर्ट के आदेश पर दखल देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और देशमुख की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि जिस तरह के आरोप लगे हैं और जिस हैसियत के शख्स पर आरोप लगे हैं, इसकी स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच ज़रूरी है। कोर्ट ने कहा कि यह दो बड़े पदों पर बैठे लोगों से जुड़ा मामला है। लोगों का भरोसा बना रहे, इसलिए निष्पक्ष जांच जरूरी है। हम हाईकोर्ट के आदेश में दखल नहीं देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के वकीलों ने की जिरह
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 21 मार्च को वकील जयश्री पाटिल ने शिकायत दी थी।23 मार्च को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। बाद में परमबीर ने भी याचिका दायर कर किया। 31 मार्च को सिर्फ इस पहलू पर सुनवाई हुई कि याचिकाएं सुने जाने लायक हैं या नहीं। लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने विस्तृत आदेश पारित कर दिया। हमें ठीक से जिरह का मौका ही नहीं दिया गया।
अभिषेक मनु सिंघवी के इस स्टेटमेंट पर जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि जब गृहमंत्री पर आरोप पुलिस कमिश्नर ने लगाए हों तो क्या यह सीबीआई जांच के लिए फिट मामला नहीं है। तब सिंघवी ने कहा कि वह गृह मंत्री नहीं हैं। तब कोर्ट ने कहा कि उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के बाद पद छोड़ा है। तब सिंघवी ने कहा कि लेकिन मामला सीबीआई को इसलिए दिया गया कि वह गृहमंत्री हैं। अब उन्होंने पद छोड़ दिया है।
सिंघवी ने कहा कि जब राज्य सरकार ने आयोग बनाया तो उन्होंने पद छोड़ दिया। इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि जी नहीं, उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस्तीफा दिया। जस्टिस कौल ने कहा कि यहां कोई किसी का शत्रु नहीं है। आरोप गंभीर हैं, आप जांच होने दीजिए।
सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई के लिए जनरल कंसेंट वापस ले रखा है। राज्य सरकार को सुना जाना चाहिए था। तब जस्टिस कौल ने कहा कि दो बड़े पद पर बैठे लोगों का मामला है। निष्पक्ष जांच जरूरी है। इस पर अनिल देशमुख की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें सुना जाना चाहिए था। तब जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि क्या आरोपित से पूछा जाता है कि एफआईआर हो या नहीं। तब सिब्बल ने कहा कि बिना ठोस आधार के आरोप लगाए गए। तब जस्टिस कौल ने कहा कि यह आरोप ऐसे व्यक्ति का है, जो गृहमंत्री का विश्वासपात्र था। अगर ऐसा नहीं होता तो उसे कमिश्नर का पद नहीं मिलता। यह कोई राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का मामला नहीं है। तब सिब्बल ने कहा कि मुझे सीबीआई पर एतराज है। तब कोर्ट ने कहा कि आप जांच एजेंसी को नहीं चुन सकते हैं। तब सिब्बल ने कहा कि इस तरह से कोई लोकतांत्रिक संस्था काम नहीं कर सकती है। बिना सुनवाई इस तरह जांच नहीं होनी चाहिए।
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सिब्बल ने कहा कि आज एक और मंत्री पर 50 करोड़ की उगाही का आरोप लगा दिया गया है। यह ऐसे ही चलता रहेगा। मुझे सुने बिना जांच का आदेश देना गलत है। तब जस्टिस कौल ने कहा कि इस मामले में इसकी जरूरत नहीं लग रही है। सिब्बल ने कहा कि प्राथमिक जांच के आदेश से पहले अनिल देशमुख को भी सुना जाना चाहिए था। इस आदेश से मेरा नुकसान हुआ है। सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट नियम बना दे कि जब भी बड़े पद पर बैठा व्यक्ति, बड़े पद पर बैठे दूसरे व्यक्ति पर कोई आरोप लगाए तो सीधे जांच होगी। तब जस्टिस गुप्ता ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि ऐसी स्थिति न आए जहां डीजीपी गृहमंत्री पर आरोप लगाए।