पश्चिम बंगाल में जीत की हैट्रिक लगाने वाली तृणमूल कांग्रेस की तीसरा कार्यकाल शुरू हों इसे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, बंगाल में अभी तक बिल्डर-मकान खरीदार मामलों के लिए RERA के स्थान पर स्थानीय क़ानून बनाए गए थे, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी कानूनों को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने बंगाल के क़ानून WBHIRA को RERA की कॉपी बताया है।

सुप्रीम कोर्ट ने RERA को लेकर सुनाया आदेश
कोर्ट का कहना है कि समवर्ती सूची के मामलों में संसद से बने कानून को प्राथमिकता दी जाती है। पश्चिम बंगाल में एक समानांतर कानून लाने की कोई जरूरत नहीं थी। कोर्ट ने यह भी माना है कि राज्य का कानून WBHIRA, केंद्रीय कानून RERA की कॉपी कर बनाया गया है।
दरअसल, केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान संसद में रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (RERA) पारित किया था। यह क़ानून सभी राज्यों पर लागू होना था, लेकिन बंगाल कि सत्तारूढ़ ममता सरकार ने इसकी बजाय वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्री रेग्युलेशन एक्ट (WBHIRA) 2017 बना दिया। इस तरह के कानून को संविधान के अनुच्छेद 254(2) के तहत राष्ट्रपति की मंजूरी के लिया भेजा जाना चाहिए था, लेकिन राज्य सरकार ने यह भी नहीं किया। जून, वर्ष 2018 में अपना कानून लागू कर दिया।
ममता सरकार द्वारा बनाए गए इस कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मकान खरीदारों का संगठन फॉर्म फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स ने बड़ा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया । याचिकाकर्ता संगठन ने दलील दी कि संसद के कानून की पूरी तरह नकल कर बनाया गया कानून के सिर्फ कुछ बिंदु अलग रखे गए है। यह बिंदु मकान खरीदारों के हितों के खिलाफ हैं। जैसे WBHIRA में ओपन पार्किंग स्पेस बेचने की अनुमति दी गई है। कई बातें जिन्हें RERA के तहत कोर्ट में मुकदमा चलाया जा सकता है, उनमें बिल्डर और खरीदार में समझौते की व्यवस्था बना दी गई है।
जवाब में राज्य सरकार ने दलील दी कि संपत्ति की खरीद-बिक्री का विषय समवर्ती सूची का है। इसलिए, राज्य को उस पर कानून बनाने का अधिकार है।
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मामले पर लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने पिछले महीने फैसला सुरक्षित रखा था। आज दिए विस्तृत आदेश में जजों ने माना है कि संसद से बने कानून के रहते राज्य का कानून बनाना सही नहीं था। इसलिए WBHIRA को खारिज किया जा रहा है। इसका मतलब यह नहीं कि राज्य में इसी विषय पर 1993 में बना कानून वापस अमल में आ जाएगा। अब पश्चिम बंगाल में RERA लागू होगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि WBHIRA कानून के तहत राज्य में पिछले 3 साल में लिए गए फैसले बने रहेंगे, ताकि लोगों में कोई भ्रम न हो।
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