सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ उद्धव सरकार को बड़ी राहत दी है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उद्धव सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गई थी। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि उद्धव सरकार sarkaमशीनरी का दुरुपयोग कर रही है और नापसंद लोगों को निशाना बना रही है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से राष्ट्रपति से शिकायत करने की बात कही है।

दरअसल, याचिकाकर्ता विक्रम गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए उद्धव सरकार के खिलाफ आरोप लगाए थे कि उद्धव सरकार sarkaमशीनरी का दुरुपयोग कर रही है और नापसंद लोगों को निशाना बना रही है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से राष्ट्रपति से शिकायत करने की बात कही है। उन्होंने अपनी इस याचिका में बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनाउत और रिटायर्ड नौसेना अधिकारी मदन लाल शर्मा की पिटाई का हवाला दिया था।
याचिकाकर्ता ने अपने शिकायत पत्र में यह भी कहा गया है था कि अगर राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं भी लगाया जाता है तो कम से कम मुंबई और आस-पास की कानून व्यवस्था कुछ दिनों तक सेना के हवाले कर देनी चाहिए। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि आपको हमसे नहीं, बल्कि राष्ट्रपति से मांग करनी चाहिए।
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आपको बता दें कि बीते महीने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) बांद्रा वेस्ट के पाली हिल रोड पर स्थित कंगना रनोट के दफ्तर के अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया। था। नगर निगम की यह कार्रवाई तब हुई थी जब कंगना ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ बयानबाजी की थी।
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एक कार्टून बनाने को लेकर सेवानिवृत्त नौसैनिक मदनलाल शर्मा पर शिसेवा के कार्यकर्ताओं ने मारपीट की थी। यह मारपीट इस वजह से हुई थी क्योंकि मदनलाल शर्मा ने अपनी सोसायटी के सदस्यों को व्हाट्सएप ग्रुप पर एक ऐसा कार्टून साझा किया था, जिसमें ठाकरे को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार की तस्वीरों के सामने हाथ जोड़े दिखाया गया।
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