बीते साल में कोरोना वायरस के घातक संक्रमण के चलते बहुत से प्रतियोगी छात्र परीक्षा नहीं दे पाए थे। कुछ छात्र ऐसे थे जिनके पास ये परीक्षा में बैठने का आखिरी मौका था। इसी को लेकर कोरोना की वजह से यूपीएससी की परीक्षा देने से वंचित रहे छात्रों के मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उम्र सीमा पार चुके ऐसे छात्रों को एक और मौका नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को इस संबंध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी।
इसके पहले 11 जनवरी की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बताया था कि यूपीएससी परीक्षा में एक बार और मौका देने पर वह गंभीरता से विचार कर रही है। 18 दिसंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी से कहा था कि वो कोरोना की वजह से परीक्षा देने से वंचित रहे छात्रों को एक और मौका देने पर विचार करें। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि केंद्र सरकार यूपीएससी परीक्षा में एक बार और मौका देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए नियमों में संशोधन करना होगा।
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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोरोना की वजह से काफी आवेदक यूपीएससी की प्रीलिम्स की अक्टूबर 2020 में हुई परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए थे। 30 सितंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय को निर्देश दिया था कि यूपीएससी की परीक्षा देने वाले उन अभ्यर्थियों को एक मौका और दें जिनके लिए ये अंतिम मौका है।