जहां हर दिन कोरोना से हजारों मौतें हो रही है, हर दिन न जाने कितने परिवार बिखर रहे है, वही प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े वास्तविकता से इतर है। सरकारी आंकड़े जमीनी सच्चाई से कई गुना कम बताए जा रहे है। ऐसी ही एक घटना उत्तर प्रदेश के कानपुर से सामने आई है। कानपुर में कोरोना से हो रही मौतों को आंकड़ेबाजी से कम दिखाने का खेल स्वास्थ्य विभाग हर रोज खेल रहा है। बुधवार को ही कोरोना से रिकार्ड 67 मौतें दर्ज हुईं। स्वास्थ्य विभाग ने माना कि 24 घंटे के अंदर सिर्फ 11 मौतें हुईं हैं।
लेकिन जारी किए गए आंकड़ों में 56 मौतें कब हुईं इसकी जानकारी छुपा ली गई। सिर्फ यही बताया गया कि पोर्टल पर डाटा देरी से अपडेट हुआ है। 56 रोगी कब मरे थे? कैसे मरे थे यह बात अस्पतालों ने भी छिपा ली है। इनकी मौत का दिन ही पता नहीं है। पोर्टल पर आंकड़ा चढ़ाने के बाद बता दिया गया कि ये 24 घंटे के पहले की मौतें हैं। 24 घंटे के कितने पहले की ? यह बताने के बजाए लोगों को गुमराह किया गया। ये 56 मौतें अब किसी एक दिन में नहीं जुड़ पाएंगी।
जब कभी पांच मई की मौत की बात होगी तो 11 का आंकड़ा ही सामने आएगा और 56 रोगियों की मौत का पता नहीं चलेगा। इसके पहले तीन मई को 57 मौतें हुई थीं। इनमें 51 रोगियों की मौत का दिन पता ही नहीं था। बुधवार को बताई गईं कोरोना की 67 मौतें शहर के 17 अस्पतालों में हुई हैं। सबसे अधिक 13 मौतें जीटीबी हॉस्पिटल में हुईं हैं। इसके अलावा एक मौत न्यू लीलामणी हॉस्पिटल, एक मरियमपुर, चार मौतें नारायणा मेडिकल कॉलेज, तीन मौतें अपोलो अस्पताल, एक मौत सेवन एयरफोर्स हॉस्पिटल, नौ मौतें फॉर्चून हॉस्पिटल, नौ मौतें कांशीराम हॉस्पिटल, तीन मौतें ग्रेस हॉस्पिटल, नौ मौतें हैलट, दो मौत केएमसी, तीन मौतें कुलवंती, पांच मौतें रामा मेडिकल कालेज, एक मौत फैमिली हॉस्पिटल, एक मौत एसआईएस हॉस्पिटल, एक मौत मधुराज और एक मौत कृष्णा सुपर स्पेशिएलटी हॉस्पिटल में हुईं हैं।
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स्वास्थ्य विभाग ने ब्योरा सबका दिया है लेकिन गिनती सिर्फ 11 की ही की। आंकड़ों के अनुसार कोरोना से अब तक नगर में 1363 लोगों की जान जा चुकी है। एसीएमओ डॉ। एके सिंह का कहना है कि शाम पांच बजे तक का ही आंकड़ा दिया जाता है। इसके बाद जो मौतें होती हैं, उन्हें अगले दिन पांच बजे तक के आंकड़े में जोड़ दी जाती हैं। अस्पताल रिपोर्ट आने और कागजात पूरे होने पर ही अपलोड कर रहे हैं।