भाजपा के साथ बेहतर संबंध चाहते हैं शिवसेना के सांसद, अब राष्ट्रपति चुनाव को लेकर उद्धव ठाकरे को लिखा पत्र

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के गिरने के बाद जिस तरह से शिवसेना के बागी विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई उसके बाद उद्धव ठाकरे के सामने अपने बाकी के विधायकों और सांसदों को एकजुट रखने की बड़ी चुनौती है। इस बीच शिवसेना के सांसदों ने उद्धव ठाकरे से अपील की है कि वह भाजपा के साथ रिश्तों को बेहतर करने की कोशिश करें और उनके साथ गठबंधन करें।

उद्धव ठाकरे को लिखा पत्र

शिवसेना सांसद राहुल शेवाले ने उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर उनसे अपील की है कि वह शिवसेना के सांसदों को कहें कि राष्ट्रपति पद के लिए NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दें। शिवसेना के सूत्रों के अनुसार शेवाले ने उद्धव ठाकरे से आधिकारिक तौर पर यह अपील की है, शिवसेना के सांसद द्रौपदी मुर्मू को 18 जुलाई को राष्ट्रपति के चुनाव में वोट करें नाकि विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को।

बीच का रास्ता चाहते हैं शिवसेना के नेता

दरअसल जिस तरह से एकनाथ शिंदे ने बागी विधायकों के साथ पार्टी से अलग रुख अपनाते हुए भाजपा के साथ मिलकर सरकार का गठन किया उसके बाद शिवसेना के 18 में से 16 सांसदों ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी और जिसमे से कुछ सांसदों ने उनसे अपील की थी कि 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी के साथ कोई बीच का रास्ता निकालें।

मुर्मू के पक्ष में जाना चाहते हैं नेता

शेवाले ने उद्धव ठाकरे से मंगलवार को मुलाकात की थी और उनसे मिलकर खुद उन्हें यह पत्र सौंपा था। पत्र में उन्होंने कहा कि मुर्मू सक्षम आदिवासी नेता हैं और समाज में उनका योगदान अग्रणी है। राजनीति में आने से पहले वह शिक्षिका थीं और उन्होंने झारखंड के राज्यपाल के तौर पर भी बेहतरीन काम किया है। शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने एनडीए के साथ गठबंधन में रहते हुए भी प्रतिभा पाटिल को अपना समर्थन नहीं दिया था, बावजूद इसके कि वह महाराष्ट्र से थीं। इसी तरह से शिवसेना प्रमुख ने प्रणब मुखर्जी को अपना समर्थन दिया था। लिहाजा मुर्मू के बैकग्राउंड को ध्यान में रखते हुए, आदिवासी समाज में उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए आपको शिवसेना के सांसदों को यह निर्देश देना चाहिए कि वह द्रौपदी मुर्मू को अपना वोट दें।

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भाजपा के साथ आने के विकल्प तलाशें!

एकनाथ शिंदे के बेटे सांसद श्रीकांत शिंदे और भावना गावली ने पिछले महीने हुई शिवसेना की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। शिवसेना के नेताओं का कहना था कि शिवसेना के कुछ सांसदों ने उद्धव ठाकरे से अपील की थी कि वह बागी विधायकों को एक बार फिर से पार्टी में वापस लाने की कोशिश करें, अगर भाजपा के साथ फिर से गठबंधन करके ऐसा संभव है तो इस संभावना को भी तलाशा जाए।