नई दिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक एतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि पत्नी पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती है और फिर उस पर किसी अन्य महिला के साथ संबंध होने का शक करती है तो यह क्रूरता माना जाएगा। इस तरह की स्थिति तालाक का वैध आधार है। जस्टिस रेवती मोहित डेरे और जस्टिस नीला गोखले ने यह टिप्पणी करते हुए पुणे फैमिली कोर्ट के तलाक के फैसले को सही ठहराया। साथ ही महिला की तलाक को चुनौती देने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया।
बता दें कि दोनों का विवाह 2013 में हुआ था, लेकिन दिसंबर, 2014 में वे अलग रहने लगे थे। 2015 में पुरुष ने क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए पुणे की पारिवारिक अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसे मंजूर कर लिया गया था। महिला ने अपनी याचिका में कहा कि उसके ससुराल वालों ने उसे परेशान किया था, लेकिन वह अब भी अपने पति से प्यार करती है और इसलिए वह शादी खत्म नहीं करना चाहती।
हालांकि, पुरुष ने कई आधारों पर क्रूरता का दावा किया, जिसमें शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना, उस पर विवाहेतर संबंध होने का संदेह करना और उसके परिवार, दोस्तों व कर्मचारियों के सामने उसे शर्मिंदा करके मानसिक पीड़ा पहुंचाना शामिल है। उसने दावा किया कि उसकी पत्नी ने उसे छोड़कर अपने माता-पिता के घर चली गई थी।
हाई कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता (महिला) का पुरुष के कर्मचारियों के साथ व्यवहार निश्चित रूप से उसे पीड़ा पहुंचाएगा। इसी तरह पुरुष को उसके दोस्तों के सामने अपमानित करना भी उसके प्रति क्रूरता है।
अदालत ने कहा कि पुरुष की दिव्यांग बहन के साथ महिला के उदासीन व्यवहार ने भी उसे और उसके परिवार के सदस्यों को पीड़ा पहुंचाई। अदालत ने महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि दंपति का विवाह बिना किसी सुधार की संभावना के टूट चुका है।