कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से पूरे देश में भारी प्रलय मची हुई है, ऐसे में हर तरफ कोरोना वायरस का प्रकोप जारी है। देश में सबसे ज्यादा संक्रमित राज्यों में महाराष्ट्र, दिल्ली के साथ यूपी का नाम भी शामिल है। जहां हर दिन रिकॉर्ड केस दर्ज किये जा रहे है। यहां तक कि प्रदेश की जेलों में भी अब इस वायरस ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिया है। ऐसे में कैदियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के जेलों में कोरोना संक्रमण फैलने पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने व्यापक पैमाने पर सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों की रिहाई की योजना घोषित की है। न्यायिक अधिकारियों को जेलों में जाकर योजना के तहत कैदियों को 60 दिन के पेरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने की कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया है।
साथ ही महानिदेशक कारागार यूपी से उन कैदियों का डाटा मांगा गया है जो सजा पूरी करने के बाद अर्थदण्ड जमा न कर पाने के कारण जेल में है। ताकि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिये जुर्माने का भुगतान कर उन्हें रिहा किया जा सके। ए. के. अवस्थी प्रमुख सचिव गृह व आनंद कुमार महानिदेशक कारागार कमेटी के सदस्य है। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोरोना संक्रमण की निगरानी के लिए गठित की गयी है। उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक आशीष गर्ग को पत्र लिखकर योजना का अनुपालन कराने का अनुरोध किया है। जिसमें सभी जेल अधीक्षक को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव के लगातार संपर्क बनाए रखने का भी निर्देश दिया गया है। एक प्रदेश स्तरीय निगरानी टीम भी बनी है जिसे जेलो में जाकर न्यायिक अधिकारियो की कार्यवाही की रिपोर्ट 15 मई तक हाई पावर कमेटी को सौपने को कहा गया है। हाई पावर कमेटी की अगली बैठक 22 मई को होगी।
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कैदियों की पेन्डेमिक पेरोल या अंतरिम जमानत पर रिहाई योजना में किन्हें लाभ मिलेगा, किन्हें नहीं, पूरा सिलसिलेवार ब्यौरा दिया गया है। योजना के तहत 30मई तक कैदियों को कोर्ट में पेश करने पर रोक लगा दी गयी है। अब पेशी वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए ही की जायेगी। जो कैदी पेरोल पर हैं उनकी पेरोल अगले 60 दिन के लिए बढ़ा दी जायेगी। जो शांतिपूर्ण पेरोल के बाद समर्पण कर चुके हैं, उन्हें फिर से 60 दिन की पेरोल दी जायेगी। जो सात साल से कम सजा के अपराधी या आरोपी हैं उन्हें 60 दिन की विशेष पेरोल या अंतरिम जमानत दी जाए। बशर्ते जेल में प्रतिकूल कार्यवाही न की गयी हो। जो कैदी 2020-21 में या पांच साल के भीतर कभी पेरोल पर छूटे हो, उन्हें भी 60 दिन की पेन्डेमिक पेरोल दी जाए। जिनकी अर्जी सरकार के समक्ष लंबित है, उन पर एक हफ्ते में 60 दिन के पेरोल पर रिहाई का फैसला लिया जाए।