नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया की यात्रा के बाद गुरुवार को भारत लौट आए हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार, पीएम मोदी की यह यात्रा सफल रही है।
पीएम मोदी ने पांच देशों की अपनी यात्रा में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। उन्होंने अब तक 17 विदेशी संसदों में भाषण दिए, जो कांग्रेस के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के कुल रिकॉर्ड के बराबर है।
उन्होंने यह उपलब्धि जुलाई 2025 के पहले सप्ताह में घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो और नामीबिया में दिए हाल ही के भाषणों के साथ हासिल की है। इस वैश्विक सक्रियता से पता चलता है कि पीएम मोदी भारत के सबसे सक्रिय नेताओं में से एक हैं।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्रियों ने कई दशकों में यह उपलब्धि हासिल की थी, जिनमें मनमोहन सिंह ने सात बार, इंदिरा गांधी ने चार बार, जवाहरलाल नेहरू ने तीन, राजीव गांधी ने दो और पी.वी. नरसिम्हा राव ने एक बार भाषण दिया था।
पीएम मोदी ने सिर्फ एक दशक से अधिक समय में यह संख्या हासिल कर ली, जो भारत के कूटनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव को दर्शाता है। उनकी हाल की यात्रा न केवल अफ्रीका और कैरिबियन देशों के साथ भारत के नए संबंधों को दर्शाती है, बल्कि ग्लोबल साउथ में भारत की आवाज की गूंज को भी उजागर करती है।
It was an honour to speak on India-Namibia friendship, our bond with Africa and India’s efforts for global good, during my address to the Namibian Parliament. pic.twitter.com/GQmB6CPDAX
— Narendra Modi (@narendramodi) July 9, 2025
पीएम मोदी को घाना में ‘ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ से सम्मानित किया गया, जो 30 साल से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा थी। इसके अलावा, ब्राजील ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस’ से नवाजा। पिछले शुक्रवार को पीएम मोदी को त्रिनिदाद एंड टोबैगो की दो दिवसीय यात्रा के दौरान ‘द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो’ सम्मान से सम्मानित किया गया था। वे यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले विदेशी नेता बने हैं।
प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एंशिएंट वेल्वित्चिया मिराबिलिस’ से भी सम्मानित किया गया था। यह पीएम मोदी का 27वां वैश्विक सम्मान है, जो इस पांच देशों की यात्रा के दौरान मिला था।
त्रिनिदाद एंड टोबैगो में उन्होंने भारतीयों के आगमन के 180 साल पूरे होने के उत्सव के दौरान संसद को संबोधित किया था। उन्होंने अपने संबोधन में विकासशील देशों के प्रति भारत के निरंतर समर्थन का जिक्र किया था।
त्रिनिदाद एंड टोबैगो में वे 1968 में भारत द्वारा तोहफे में दी गई स्पीकर की कुर्सी के सामने खड़े थे, जिसे उन्होंने समय की कसौटी पर खरी उतरने वाली दोस्ती का प्रतीक बताया।नामीबिया की संसद ने उनसे लोकतांत्रिक मूल्यों, तकनीकी साझेदारी और स्वास्थ्य व डिजिटल बुनियादी ढांचे में साझा आकांक्षाओं के बारे में बात की थी।
नामीबिया की संसद में जब उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला तो उस दौरान पार्लियामेंट रूम “मोदी, मोदी” के नारे से गूंज उठा था। यह ऐतिहासिक उपलब्धि केवल व्यक्तिगत सम्मान नहीं है बल्कि यह वैश्विक कूटनीति के क्षेत्र में भारत के बढ़ते रसूख को दर्शाता है।