कर्नाटक में चुनावी प्रचार का शोर सोमवार 8 अप्रैल को थम जाएगी उससे पहले हर शहर और कस्बे प्रचार के बुखार में तप रहे हैं। सियासी दल बयानों की गर्मी से उस तापमान को और बढ़ा रहे हैं। चुनाव प्रचार में बजरंग बली, विकास, आतंकवाद, भ्रष्टाचार के साथ साथ अब टीपू सुल्तान का मुद्दा भी छाया है। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा भी चुनावी प्रचार में हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगक मैसूर के शासक स्वतंत्रता सेनानी थे तो 80 हजार कोडवा कौन थे जो मातृभूमि के लिए प्राण दे दिए। उन्होंने कहा कि नए भारत को ऐसे इतिहास की जरूरत है जिसके जरिए हमारे उन हीरो की पहचान हो जिन्होंने देश और धर्म के लिए बलिदान दिया।
टीपू सुल्तान के इर्द गिर्द प्रचार
असम के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि अगर हम इस तर्क की भी जांच करें कि टीपू सुल्तान केवल इसलिए स्वतंत्रता सेनानी हैं क्योंकि उन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, तो उन 80,000 कोडावों के बारे में क्या जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए और हमारी संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए बहादुरी से अपने प्राणों की आहुति दी? वामपंथियों का इतिहास बहुत हो गया। न्यू इंडिया को एक ऐसे इतिहास की जरूरत है जो हमारे वीरों द्वारा अपनी भूमि और धर्म की रक्षा के लिए किए गए बलिदान को पहचान सके।
टीपू सुल्तान की जयंती पर विवाद
कर्नाटक के राजनीतिक गलियारों में 18वीं सदी के मैसूर के पूर्व शासक टीपू सुल्तान के इर्द-गिर्द बहस छिड़ गई है। भारतीय जनता पार्टी ने साफ कर दिया है कि आगामी चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के बीच नहीं बल्कि वीडी सावरकर और टीपू सुल्तान के बीच लड़ा जाएगा।सरमा ने शनिवार को चुनावी राज्य कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधा था और उसके नेताओं सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को टीपू सुल्तान के परिवार के सदस्य के रूप में करार दिया था।
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कोडागु जिले के विराजपेट विधानसभा में एक चुनावी रैली में सरमा ने कहा कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार टीपू सुल्तान के परिवार के सदस्य हैं।उन्होंने कहा कि वो असम से आए हैं, असम में 17 बार मुगलों ने हम पर हमला किया लेकिन मुगल हमें हरा नहीं सके हम अपराजित रहे। आज मैं इस पवित्र भूमि को नमन करता हूं क्योंकि कोडागु लोगों ने टीपू सुल्तान को भी कई बार हराया।बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि अगर सिद्धारमैया टीपू सुल्तान जयंती मनाने का इरादा रखते हैं, तो उन्हें पाकिस्तान में ऐसा करना चाहिए। 80,000 लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। आज सिद्धारमैया कह रहे हैं कि वे टीपू सुल्तान जयंती मनाएंगे। यदि आप टीपू सुल्तान जयंती मनाना चाहते हैं और इसे पाकिस्तान और बांग्लादेश में मनाएं। लेकिन आपको ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है।