कर्नाटक में बोले PM मोदी-‘ भारत तभी विकसित बन सकता है, जब खेत और कारखाने दोनों समृद्ध हों’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज (19 जनवरी) को कर्नाटक और महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। इस दौरान वे कर्नाटक में यादगीर और कलबुर्गी जिले दौर पर रहे। प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से कर्नाटक को 10,800 करोड़ रुपये से भी अधिक और महाराष्ट्र को 38,800 करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा की लागत वाली परियोजनाएं मिल रही हैं। प्रधानमंत्री ने कर्नाटक में दो ग्रीनफील्ड राजमार्ग विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया;  दोनों ही परियोजनाएं सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे का हिस्सा हैं।

आपका आशीर्वाद ही हमारी ताकत, कोडेकल में बोले मोदी

मोदी ने कोडेकल में कहा-दोस्तो आपका आशीर्वाद ही हमारी ताकत है ! यादगिरि का एक महान इतिहास है, और इसमें अद्भुत स्मारक हैं और समृद्ध संस्कृति और परंपराएं हैं। इस जगह पर राजा वेंकटप्पा नायक का महान शासन इतिहास में एक अद्भुत निशान छोड़ गया है। मैं यादगिरि की ऐतिहासिक और विरासत भूमि को नमन करता हूं। सूरत-चेन्नई इकोनॉमी कॉरिडोर का हिस्सा जो कर्नाटक में पड़ता है, उस पर भी आज काम शुरू हुआ है।  इससे यादगिर, रायचूर और कलबुर्गी सहित इस पूरे क्षेत्र में ‘ईज ऑफ डूइंग’ भी बढ़ेगी और रोजगारों को बल मिलेगा।  विकास के इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए कर्नाटक के लोगों को बहुत-बहुत बधाई।

हमें विकसित भारत का निर्माण करना है

मोदी ने कहा-आजादी के ‘अमृतकाल’ में हमें विकसित भारत का निर्माण करना है। भारत विकसित तब हो सकता है, जब देश का हर नागरिक, हर परिवार, हर राज्य इस अभियान से जुड़े। चल रही विकासात्मक परियोजनाएँ न केवल यादगीर, कालाबुरागी और रायचूर के क्षेत्रों में जीवन को आसान बनाएंगी, बल्कि उनमें रोजगार को भी मजबूत करेंगी। इसके लिए मैं कर्नाटक की जनता को हृदय से बधाई देता हूं।उत्तर कर्नाटक में जिस तरह से विकास कार्य हो रहा है वह काबिले तारीफ है। जैसा कि भारत ने अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हैं, अब समय आ गया है कि वह आने वाले समय में और अधिक मजबूत हौसलों के साथ आगे बढ़े। हमारी सरकार ने यादगीर सहित देश के 100 से अधिक ऐसे जिलों में आकांक्षी जिला कार्यक्रम शुरू किया।

सही मायनों में विकसित भारत

मोदी ने कहा-भारत सही मायनों में विकसित देश बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा; और यह सभी के सामूहिक मार्च से ही साकार होगा- किसानों से लेकर व्यापारियों तक- सभी को आगे आना चाहिए और अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए। अगले 25 साल हर नागरिक के लिए, हर राज्य के लिए ‘अमृत काल’ हैं। भारत तभी ‘विकसित’ बन सकता है, जब ‘खेत’ और ‘कारखाने’ दोनों समृद्ध हों। हमारे देश में दशकों तक करोड़ों छोटे किसान भी हर सुख-सुविधा से वंचित रहे, सरकारी नीतियों में उनका ध्यान तक नहीं रखा गया। आज यही छोटे किसान देश की कृषि नीति की सबसे बड़ी प्राथमिकता है।इसे हटाना तो दूर पिछली सरकारों ने इस क्षेत्र के पिछड़ेपन को दूर करने के बारे में सोचा भी नहीं था। उन्होंने यहां निवेश करने या यहां कोई बुनियादी ढांचा विकसित करने की जहमत नहीं उठाई। यादगीर के साथ हम देश के 100 आकांक्षी जिलों में ‘सुशासन’ की संभावनाएं लेकर आए।

2014 के बाद विकास

2014 के बाद से विकास अभूतपूर्व रहा है। यादगिर दाल का कटोरा है, यहां की दालें देश भर में पहुंचती हैं। पिछले 7-8 वर्षों में अगर भारत ने दालों के लिए विदेशी निर्भरता को ​कम किया है तो इसमें उत्तर कर्नाटक के किसानों की बहुत बड़ी भूमिका है। केंद्र सरकार ने भी इन 8 वर्षों में किसानों से 80 गुना दाल MSP पर खरीदी है।  2014 से पहले ​दाल के लिए किसानों को 100 करोड़ रुपए मिलते थे तो वहीं हमारी सरकार ने दाल किसानों को 60 हजार करोड़ा रुपए दिए हैं। यादगीर में बच्चों का 100% टीकाकरण देखा गया है और क्षेत्र में कुपोषित बच्चों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है।

क्षेत्र के शत-प्रतिशत गांवों को सड़कें उपलब्ध करा दी गई हैं और डिजिटल सेवाएं प्रदान करने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर स्थापित किए गए हैं। स्वास्थ्य हो, शिक्षा हो या कनेक्टिविटी हो, यहां सब कुछ मजबूत हुआ है और यादगीर इस तरह देश के टॉप-10 एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स में बना हुआ है। यादगीर में जल सुरक्षा और फार्मा सेक्टर से जुड़े विकास को भी सुनिश्चित किया गया है।ड्रोन तकनीक और आधुनिक कृषि सुविधाओं से लेकर जैविक खेती की ओर धकेलने तक, सब कुछ अब इस क्षेत्र में मौजूद है। मैं यादगीर की और समृद्धि की कामना करता हूं और एक बार फिर सभी लोगों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं!

प्रधानमंत्री का कर्नाटक दौरा

सभी घरों में व्यक्तिगत घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने के एक और कदम के रूप में जल जीवन मिशन के तहत यादगिरि जिले के कोडेकल में यादगीर बहु-ग्राम पेयजल आपूर्ति योजना की आधारशिला। इस योजना के तहत 117 एमएलडी का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। 2050 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली इस परियोजना से 700 से अधिक ग्रामीण बस्तियों और यादगिरि जिले के तीन शहरों के लगभग 2.3 लाख घरों को पीने योग्य पानी उपलब्ध होगा।

नारायणपुर लेफ्ट बैंक कैनाल के विस्तारीकरण, पुनर्निर्माण और आधुनिकीकरण परियोजना (एनएलबीसी- ईआरएम) का शुभारंभ। 10,000 क्यूसेक की क्षमता वाली नहर परियोजना से 4.5 लाख हेक्टेयर कमान क्षेत्र की सिंचाई की जा सकती है। इससे कलबुर्गी, यादगिरी और विजयपुर जिलों के 560 गांवों के तीन लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा। परियोजना की कुल लागत लगभग 4700 करोड़ रुपये है।

एनएच-150सी के 65.5 किलोमीटर लंबे खंड का शिलान्यास। यह 6 लेन वाली ग्रीनफील्ड सड़क परियोजना सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे का हिस्सा है। इसे करीब 2000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है।

कलबुर्गी, यादगिरी, रायचूर, बीदर और विजयपुरा के पांच जिलों में लगभग 1475 गैर-पंजीकृत बस्तियों को नए राजस्व गांवों के रूप में घोषित किया गया है। कलबुर्गी जिले के सेदम तालुका के मलखेड गांव में इन नए घोषित राजस्व गांवों के पात्र लाभार्थियों को मालिकाना अधिकार पत्र (हक्कू पत्र) का वितरण। पचास हजार से अधिक लाभार्थियों को टाइटल डीड जारी करना, जो बड़े पैमाने पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के हाशिए पर रहने वाले और कमजोर समुदायों से हैं, उनकी भूमि को सरकार से औपचारिक मान्यता प्रदान करने का एक कदम है। यह उन्हें पेयजल, बिजली, सड़क आदि जैसी सरकारी सेवाएं प्राप्त करने के लिए पात्र बना देगा।

एनएच-150सी के 71 किलोमीटर लंबे खंड का शिलान्यास। यह 6 लेन वाली ग्रीनफील्ड सड़क परियोजना भी सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे का हिस्सा है। इसे 2100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया जा रहा है। सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे छह राज्यों- गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से होकर गुजरेगा। यह मौजूदा मार्ग को 1600 किलोमीटर से घटाकर 1270 किलोमीटर कर देगा।

प्रधानमंत्री का मुंबई दौरा

38,800 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास। लगभग 12,600 करोड़ रुपये की मुंबई मेट्रो रेल लाइन 2ए और 7 का लोकार्पण। दहिसर ई और डीएन नगर (येलो लाइन) को जोड़ने वाली मेट्रो लाइन 2ए लगभग 18.6 किमी लंबी है, जबकि अंधेरी ई- दहिसर ई (रेड लाइन) को जोड़ने वाली मेट्रो लाइन 7 लगभग 16.5 किमी लंबी है। प्रधानमंत्री ने 2015 में इन लाइनों की आधारशिला रखी थी।

मुंबई 1 मोबाइल ऐप और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (मुंबई 1) की भी शुरुआत। यह मोबाइल ऐप यात्रा को सुगम बनाएगा, इसे मेट्रो स्टेशन के प्रवेश द्वार पर दिखाया जा सकता है और यह यूपीआई के माध्यम से टिकट खरीदने के लिए डिजिटल भुगतान में सहायता करेगा।

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नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (मुंबई 1) शुरू में मेट्रो कॉरिडोर में इस्तेमाल किया जाएगा और बाद में स्थानीय ट्रेनों व बसों सहित बड़े पैमाने पर सार्वजनिक परिवहन के अन्य वाहनों तक इसका विस्‍तार किया जा सकता है।

यात्रियों को अनेक कार्ड या नकदी ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी, एनसीएमसी कार्ड त्वरित, संपर्क रहित, डिजिटल लेनदेन को सक्षम करेगा, जिससे सुगम अनुभव के साथ प्रक्रिया आसान हो जाएगी।

लगभग 17,200 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले सात सीवेज फिल्टर प्लांट का शिलान्यास। ये सीवेज फिल्टर प्लांट मलाड, भांडुप, वर्सोवा, घाटकोपर, बांद्रा, धारावी और वर्ली में स्थापित किए जाएंगे। जिनकी संयुक्त क्षमता लगभग 2,460 एमएलडी होगी।

20वें हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे आपला दवाखाना का उद्घाटन। यह अनूठी पहल लोगों को स्वास्थ्य जांच, दवाएं, जांच और निदान जैसी आवश्यक चिकित्सा सेवाएं पूरी तरह से मुफ्त प्रदान करेगी।

मुंबई में तीन अस्पतालों अर्थात 360-बिस्‍तरों वाले भांडुप मल्टीस्पेशियलिटी म्युनिसिपल अस्पताल, 306 बिस्‍तरों वाले सिद्धार्थ नगर अस्पताल, गोरेगांव (पश्चिम) और 152 बिस्‍तरों वाले ओशिवारा मैटरनिटी होम के पुनर्विकास के लिए आधारशिला।

मुंबई की लगभग 400 किलोमीटर सड़कों को पक्‍का करने के लिए सड़क निर्माण परियोजनाओं की शुरुआत। यह परियोजना लगभग 6,100 करोड़ रुपये की लागत से विकसित होगी। मुंबई में लगभग कुल 2050 किलोमीटर सड़कों के विस्‍तार में से 1200 किलोमीटर से अधिक सड़कों को या तो पक्‍का कर दिया गया है या वे पक्‍का किए जाने की प्रक्रिया में हैं। हालांकि, शेष लगभग 850 किलोमीटर लंबाई की शेष सड़को को गड्ढों की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो परिवहन को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं। सड़क को पक्‍का करने की परियोजना का उद्देश्य इस चुनौती को दूर करना है। कंक्रीट की ये सड़कें बेहतर सुरक्षा के साथ-साथ तेज यात्रा सुनिश्चित करेंगी, साथ ही बेहतर जल निकासी सुविधाएं और जन उपयोगी नालियां सड़कों की नियमित खुदाई से बचना सुनिश्चित करेंगी।

छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के पुनर्विकास की भी आधारशिला। परियोजना का कार्य 1,800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पूरा किया जाएगा।