‘गोलीबारी नहीं हो रही, हम सुकून से ज़िंदगी जी रहे हैं’, भारत-पाक संघर्ष विराम पर बोले लोग

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम को तीसरा साल शुरू हो गया है. लोगों में इस बात की ख़ुशी है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच किसी भी तरह की गोलेबारी नहीं हो रही है. और उन्हें मुश्किल नहीं झेलनी पड़ रही है. जम्मू कश्मीर में सीमावर्ती गांवों के लोगों का कहना है कि वे अब शांति के माहौल में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं और ऐसा भारत और पाकिस्तान के बीच दो साल पहले संघर्ष विराम संबंधी सभी समझौतों का सख्ती से पालन करने पर बनी सहमति के कारण ही संभव हो सका है.

जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निकट एक अग्रिम गांव में मोहम्मद यूसुफ कोहली छह लोगों के अपने परिवार के लिए एक नया घर बना रहे हैं. उनका कहना है कि यह सपना भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के कारण ही पूरा हो रहा है. दोनों पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष विराम को पिछले महीने तीसरा वर्ष शुरू हो गया. सीमा पार से गोलाबारी के भय के बिना सीमावर्ती गांवों के लोग अब शांति के माहौल में जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

ग्रामीणों ने कहा कि वे दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम समझौता जारी रहने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं ताकि उनके बच्चों की स्कूली शिक्षा प्रभावित न हो और विकास गतिविधियों का लाभ सीमा पर अंतिम गांव तक पहुंचे. भारत और पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम संबंधी सभी समझौतों का सख्ती से पालन करने पर 25 फरवरी, 2021 को सहमति जताई थी जिससे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एलओसी के निकट बसे लोगों को राहत मिली थी.

भारत और पाकिस्तान ने 2003 में एक संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि पाकिस्तान बार-बार इस समझौते का उल्लंघन करता रहा. कोहली के बड़े बेटे और कॉलेज छात्र इबरार अहमद ने एलओसी के निकट अपने नियाका गांव में निर्माण स्थल पर‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पिछले चार सालों से मेरा परिवार एक नया घर बनाने के बारे में सोच रहा था लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाए थे क्योंकि हमारे गांव में संघर्ष विराम का उल्लंघन बार-बार होता था.’’ उन्होंने कहा कि गोलाबारी के कारण क्षतिग्रस्त हुए घरों की मरम्मत करना भी एक सपना था क्योंकि घर से बाहर निकलना मौत के जाल में फंसने जैसा था. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे गांव में कोई राजमिस्त्री या मजदूर काम के लिए नहीं आता था. लेकिन अब चीजें बदल गई हैं और हम अपना सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं.’’

नियाका मंजाकोट तहसील के तारकुंडी सेक्टर में भारत की तरफ आखिरी गांव है और फरवरी 2021 से पहले यहां भीषण गोलाबारी होती रहती थी. एक अन्य ग्रामीण, मोहम्मद नजीर (41) ने कहा कि उनका सपना एक सम्मानित जीवन जीने का है. उन्होंने कहा कि यहां अब गोलाबारी और गोलीबारी का कोई खतरा नहीं है, बच्चे अपने स्कूल जाते हैं और किसान अपने खेतों में बिना किसी खतरे के काम करते हैं.

नजीर ने कहा कि सरकार को पेयजल, अच्छी सड़कों और बिजली सहित बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए विकास गतिविधियों को शुरू करने के लिए सीमावर्ती गांवों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. एक किसान, फारूक अहमद ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उनके लिए एक राहत की बात है और वे बिना किसी तनाव के अपने खेतों में घूम रहे हैं और मवेशी चरा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘संघर्ष विराम हमेशा के लिए रहना चाहिए. माहौल में शांति बनी रहे, इससे बढ़िया कुछ नहीं होता .’’

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एक सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि पिछले दो वर्षों में संघर्ष विराम के कारण स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ है और क्षेत्र में हर कोई चाहता है कि यह शांति समझौता जारी रहे.