कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डंटे आंदोलित किसानों को मनाने के लिए केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार कोई भी कसर छोड़ नहीं रही है। इसी क्रम में कल यानि कि बुधवार को केंद्र सरकार और किसानों के बीच वार्ता होनी है। हालांकि, इस बैठक से पहले बैठक में शामिल होने वाले 40 संगठनों में से एक किसान मजदूर संघर्ष समिति ने ऐसा ऐलान किया है, जिससे बैठक पर संकट के बादल मंडराने लगा है।

किसान संगठन ने लिया यह निर्णय
दरअसल, किसान मजदूर संघर्ष समिति ने एक बड़ा ऐलान करते हुए इस बैठक में हिस्सा न लेने का फैसला सुनाया है। इस संगठन का कहना है कि सरकार के पास कोई ठोस एजेंडा नहीं है। साथ ही नए साल में संगठन अपने संघर्ष को और तेज करेगा। किसान संगठन के इस निर्णय के बाद कल होने वाली बैठक पर संकट मंडराने लगा है। साथ ही सरकार की प्लानिंग भी फेल होती नजर आ रही है जिसे उन्होंने कल होने वाली बैठक के लिए बनाया है।
किसान मजदूर संघर्ष समिति के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष सतनाम सिंह, राज्य सचिव सरवन सिंह पंढेर और सविंदर सिंह चौटाला ने कहा है कि नीति-अयोग का बयान, प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों के भाषण केवल नए कृषि कानूनों के औचित्य का बचाव करते हैं। सरकार ने बैठक के लिए कोई ठोस एजेंडा नहीं रखा है, इसलिए हमने बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला किया है।
किसान मजदूर संघर्ष समिति ने कहा कि सरकार विवादास्पद बयान दे रही है, जिससे पता चलता है कि सरकार की नीति और दिमाग खराब है। यदि सरकार किसानों के साथ बात करना चाहती है, तो उसे कानून को निरस्त करने की पद्धति के बारे में बात करनी चाहिए। नए कृषि कानून, सभी फसलों पर एमएसपी, प्रदूषण अधिनियम और बिजली बिल- 2020। ऐसे ठोस एजेंडों पर बातचीत फलदायी हो सकती है।
किसान मजदूर संघर्ष समिति ने कहा कि सरकार केवल इन कानूनों में संशोधनों पर चर्चा करना चाहती है। पिछली बैठक में किसानों ने हां या नहीं के संदर्भ में सरकार से जवाब चाहा था। जसबीर सिंह पिद्दी, सुखविंदर सिंह साबरा, सविंदर सिंह चौटाला ने कहा कि रेल-रोको आंदोलन के 100 दिन पर संगठन आंदोलन तेज करेगा।
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आपको बता दें कि कृषि कानूनों को लेकर अभी तक किसानों और सरकार के बीच छह दौर में बातचीत हो चुकी है। हालांकि अभी तक ही सभी बैठक बिना किसी हल के ही ख़त्म हुई है। 30 दिसंबर को सरकार और किसानोंओं के बीच 7वें दौर की बातचीत होनी है। इसके लिए सरकार ने अभी तक की हुई बैठकों में शामिल 40 किसान संगठनों को बातचीत का न्यौता दिया है।
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