नवयुग कन्या महाविद्यालय राजेंद्र नगर लखनऊ के दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा भारतीय दार्शनिक दिवस के अवसर पर सोमवार को एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गयाI जिसका विषय था- कौटिल्य का सप्तांग तथा मंडल सिद्धांत जिसमें बी ए सेमेस्टर 6 की छात्रा मुस्कान सिंह, हरदीप कौर, रितु कुमारी, अंशिका त्रिवेदी, रश्मि मौर्य, जया कुमारी, रितिका चौरसिया, प्रतिभा वर्मा आदि ने पावर पॉइंट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए तथा कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार उनकी विदेश नीति पर विस्तृत चर्चा की I
भारतीय दार्शनिक दिवस पर छात्राओं ने रखी अपनी बात
कौटिल्य के मंडल सिद्धांत उनकी विदेश नीति की ओर इंगित करता है 21 प्रकार से किसी भी शासक को अपने मित्र और शत्रु राज्यों को पहचानते हुए उनके साथ व्यवहार करना चाहिए I 12 राज्यों के एक समूह की व्याख्या की गई है जिसके केंद्र में विजिगिशु होता है अर्थात एक ऐसा राजा जिसमें अपने राज्य का विस्तार करने की प्रबल इच्छा हो उसके साथ अरि, मित्र,अरि- मित्र , मित्र- मित्र, अरि मित्र-मित्र आदि पर विस्तृत चर्चा हुईI
मंडल सिद्धांत की आवश्यकता तत्कालीन मत्स्य न्याय के सिद्धांत के कारण महसूस की गई क्योंकि तत्कालीन परिस्थितियों में छोटे-छोटे राज्यों का अस्तित्व खतरे में था इसलिए उन्हें आवश्यकता थी एक मंडल या संगठन की जिसकी परिकल्पना कौटिल्य ने कीI कौटिल्य के सप्तांग सिद्धांत के अंतर्गत किसी भी राज्य के आवश्यक साथ तत्वों की व्याख्या की गई है ,जिसके अंतर्गत राजा, अमात्य,दुर्ग,जनपद, आर्मी, कोश तथा मित्र की चर्चा की गई जो कि किसी भी राज्य के स्थिति को बनाए रखने के लिए अति आवश्यक अंग हैI
कार्यक्रम संयोजक व संचालक मेजर डॉ मनमीत कौर सोढ़ी के अनुसार भारतीय दार्शनिक दिवस वैशाख शुक्ल की पंचमी के अवसर पर आदि शंकराचार्य की जयंती के उपलक्ष में मनाया जाता हैI कौटिल्य एक अत्यंत महत्वपूर्ण भारतीय विचारक हैं अतः भारतीय दार्शनिक दिवस के अवसर पर उनके सिद्धांतों पर आधारित संगोष्ठी आयोजित की गई I क्योंकि किसी भी विशेष दिवस के आयोजन का उद्देश्य अकादमिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है और वैश्विक मुद्दों के समाधान में सामाजिक चुनौतियों से लड़ने के लिए विचार विमर्श को प्रेरित करना हैI
प्राचार्य डॉ सृष्टि श्रीवास्तव ने छात्राओं के प्रयास की सराहना करते हुए उन्हें सदैव आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कियाI कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बीए दर्शनशास्त्र की छात्राएं उपस्थित रहीI
नवयुग कन्या महाविद्यालय राजेंद्र नगर लखनऊ के दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा भारतीय दार्शनिक दिवस के अवसर पर सोमवार को एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गयाI जिसका विषय था- कौटिल्य का सप्तांग तथा मंडल सिद्धांत जिसमें बी ए सेमेस्टर 6 की छात्रा मुस्कान सिंह, हरदीप कौर, रितु कुमारी, अंशिका त्रिवेदी, रश्मि मौर्य, जया कुमारी, रितिका चौरसिया, प्रतिभा वर्मा आदि ने पावर पॉइंट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए तथा कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार उनकी विदेश नीति पर विस्तृत चर्चा की I
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कौटिल्य के मंडल सिद्धांत उनकी विदेश नीति की ओर इंगित करता है 21 प्रकार से किसी भी शासक को अपने मित्र और शत्रु राज्यों को पहचानते हुए उनके साथ व्यवहार करना चाहिए I 12 राज्यों के एक समूह की व्याख्या की गई है जिसके केंद्र में विजिगिशु होता है अर्थात एक ऐसा राजा जिसमें अपने राज्य का विस्तार करने की प्रबल इच्छा हो उसके साथ अरि, मित्र,अरि- मित्र , मित्र- मित्र, अरि मित्र-मित्र आदि पर विस्तृत चर्चा हुईI
मंडल सिद्धांत की आवश्यकता तत्कालीन मत्स्य न्याय के सिद्धांत के कारण महसूस की गई क्योंकि तत्कालीन परिस्थितियों में छोटे-छोटे राज्यों का अस्तित्व खतरे में था इसलिए उन्हें आवश्यकता थी एक मंडल या संगठन की जिसकी परिकल्पना कौटिल्य ने कीI कौटिल्य के सप्तांग सिद्धांत के अंतर्गत किसी भी राज्य के आवश्यक साथ तत्वों की व्याख्या की गई है ,जिसके अंतर्गत राजा, अमात्य,दुर्ग,जनपद, आर्मी, कोश तथा मित्र की चर्चा की गई जो कि किसी भी राज्य के स्थिति को बनाए रखने के लिए अति आवश्यक अंग हैI
कार्यक्रम संयोजक व संचालक मेजर डॉ मनमीत कौर सोढ़ी के अनुसार भारतीय दार्शनिक दिवस वैशाख शुक्ल की पंचमी के अवसर पर आदि शंकराचार्य की जयंती के उपलक्ष में मनाया जाता हैI कौटिल्य एक अत्यंत महत्वपूर्ण भारतीय विचारक हैं अतः भारतीय दार्शनिक दिवस के अवसर पर उनके सिद्धांतों पर आधारित संगोष्ठी आयोजित की गई I क्योंकि किसी भी विशेष दिवस के आयोजन का उद्देश्य अकादमिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है और वैश्विक मुद्दों के समाधान में सामाजिक चुनौतियों से लड़ने के लिए विचार विमर्श को प्रेरित करना हैI
प्राचार्य डॉ सृष्टि श्रीवास्तव ने छात्राओं के प्रयास की सराहना करते हुए उन्हें सदैव आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कियाI कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बीए दर्शनशास्त्र की छात्राएं उपस्थित रहीI