महाराष्ट्र में राजनीतिक घमासान अभी भी जारी है, मंगलवार को शिवसेना अध्यक्ष ने विधानसभा में महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के भाषण पर कटाक्ष करते हुए उन्हें एक ऑटो चालक कहा, जिसका ब्रेक फेल हो गया। अब महाराष्ट्र के सीएम शिंदे ने उद्धव पर पलटवार किया है। शिंदे ने कहा, ”उस रिक्शा ने मर्सिडीज को पीछे छोड़ दिया, क्योंकि ये सरकार सर्वसामान्य लोगों के लिए सरकार है, ये समाज के हर घटक को न्याय दिलाने वाली सरकार है।”
‘बालासाहेब ठाकरे के हिन्दुत्व के मुद्दे को आगे ले जाने का फैसला किया है’
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने एएनआई से इंटरव्यू में कहा, ”बालासाहेब ठाकरे का हिन्दुत्व का जो मुद्दा है, हिन्दुत्व के जो विचार हैं, उनकी जो भूमिका है, उसे आगे ले जाने का फैसला हम लोगों ने किया है। हमारे लगभग 50 MLA अगर एक साथ ऐसी भूमिका लेते हैं तो इसका कोई बड़ा कारण होगा। इसपर विचार करने की आवश्यकता थी।” उन्होंने कहा कि जनता को लगा था कि भाजपा सत्ता के लिए कुछ भी करती है, लेकिन उन्होंने सभी देशवासियों को बता दिया है कि इन 50 लोगों ने एक हिन्दुत्व की भूमिका ली है, इनका एजेंडा हिन्दुत्व का है, विकास का है, इनका समर्थन करना चाहिए। उन्होंने हमें समर्थन किया।
‘बड़ा दिल दिखाकर देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बन गए’
शिंदे ने कहा, ”मैंने कई बार चर्चा की कि महा विकास अघाडी में जो हम बैठे हैं इससे हमें फायदा नहीं हैं, नुकसान है। हमारे विधायक चिंतित हैं कि कल चुनाव कैसे लड़ें। नगर पंचायत चुनाव में हम 4 नंबर पर गए। मतलब सरकार का फायदा शिवसेना को नहीं हो रहा।” उन्होंने कहा, देवेंद्र फडणवीस बड़े दिल से उपमुख्यमंत्री बन गए, लेकिन जब पार्टी का आदेश आता है तो पार्टी का आदेश मानते हैं वो और मेरे जैसे बालासाहेब के कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया। मैं पीएम मोदी का, केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष को धन्यवाद करता हूं।
50 विधायकों ने क्यों लिया अलग होने का फैसला ?
शिंदे ने कहा कि जब हम चुनाव में जीतते हैं तो हमारे चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं की विकास को लेकर अपेक्षा होती है। लेकिन हमारे विधायक काम नहीं कर पा रहे थे, फंड की कमी थी। हमने इस बारे में हमारे वरिष्ठ से बात की, लेकिन हमें कामयाबी नहीं मिली। इसलिए हमारे 40-50 विधायकों ने ये भूमिका ली। शिवसेना-भाजपा ने एक साथ चुनाव लड़ा था और सरकार बन गई कांग्रेस-एनसीपी के साथ। इसके कारण जब भी हिन्दुत्व के मुद्दे आए, दाऊद का मुद्दा आया, मुंबई बम ब्लास्ट का मुद्दा और भी कई मुद्दे जब आते थे, हम कोई भी निर्णय नहीं ले पा रहे थे।