श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में प्रतिवादी पक्ष शाही मस्जिद ईदगाह की दलीलों और आपत्ति पर गुरुवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अगली सुनवाई 22 मार्च तय की है, कोर्ट ने 9 पक्षकारों के प्रार्थना पत्र को अस्वीकार कर दिया है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में केवल चार प्रतिवादी पक्ष ही शामिल होंगे।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पूर्ण स्वामित्व को लेकर मथुरा कोर्ट में की गई अपील के बाद जिला एवं सत्र न्यायालय में इस केस में पक्षकार बनने की नो अपीलों को अदालत ने खारिज कर दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी।
जिला न्यायालय के शासकीय अधिवक्ता शिवराम तरकर ने बताया कि अदालत ने पक्षकार बनने वाले नौ प्रार्थना पत्र जो 1/10 के तहत प्रस्तुत किए गए थे। इन सभी प्रार्थना पत्र मेंटेनेबल न होने के कारण न्यायालय ने निरस्त कर दिये हैं। मथुरा जिला जज की अदालत में सुनवाई की तारीख 22 मार्च नियत की गयी है। इन 9 पक्षकारों की अपील को किया अस्वीकारजिला एवं सत्र न्यायालय में पिछले दिनों 9 पक्षकार अखिल भारतीय हिंदू महासभा, तीर्थ पुरोहित महासभा, चतुर्वेदी परिषद, डॉ. केशवाचार्य महाराज, योगेश कुमार चतुर्वेदी, अजय गोयल, वीरेंद्र अग्रवाल, विजेंद्र कुमार पोइया और योगेश उपाध्याय ने जन्मभूमि मामले में पक्षकार बनने की मांग को लेकर प्रार्थना पत्र दायर किया था। गुरुवार को अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनी। इसके बाद अदालत ने सभी नौ अपीलों को खारिज कर दिया।
ये हैं चार प्रतिवादी पक्षश्रीकृष्ण जन्म स्थान के पूर्ण स्वामित्व मामले को लेकर दायर की गई याचिका में चार प्रतिवादी पक्ष शाही ईदगाह कमेटी, सुन्नी वक्फ बोर्ड, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट को मामले में प्रतिवादी बनाया गया है।
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उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री व अन्य ने श्रीकृष्ण विराजमान के भक्त के रूप में 25 सितम्बर 2020 को अदालत में दावा किया था कि शाही मस्जिद ईदगाह के साथ वर्ष 1967 में हुए समझौते के बाद हुई डिक्री (न्यायिक निर्णय) को रद्द कर दिया जाए जिससे कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान से संबंधित कटरा केशवदेव की 13.37 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण विराजमान को मिल सके। इस दावे में वादी की ओर से यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया था। श्रीकृष्ण विराजमान का दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत के अनुपस्थित होने के कारण फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुना गया और उसे प्रकीर्ण वाद में दर्ज किया गया। इस मामले में सुनवाई जिला जज यशवंत कुमार मिश्र की अदालत में चल रही थी। इसमें सात जनवरी को शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव अधिवक्ता तनवीर अहमद द्वारा आपत्ति दर्ज करते हुए अदालत में प्रार्थनापत्र दिया कि श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से दाखिल की गई अपील प्रकीर्ण वाद में दर्ज होने के कारण सुनवाई योग्य नहीं है।