अखिल विश्व राधा स्वामी सत्संग परिवार ने पर्यावरण सुरक्षा-संरक्षण के संदेश के साथ लखनऊ और उसके आसपास के क्षेत्रों सहित पूरे विश्व में प्रकृति पर्व बसंत और राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास, उमंग और भक्तिभाव से मनाया। इस अवसर पर राधा स्वामी सत्संग मुख्यालय दयालबाग व देश-विदेश में स्थित इसके विभिन्न केंद्रों पर विविध धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेलकूद, बेबी शो सहित अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमें सभी उम्र के सत्संगी भाई, बहनों और बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। मुख्य आयोजन राधास्वामी सत्संग मुख्यालय दयालबाग आगरा में रा-धा-स्व-आ-मी सत्संग के मुख्य आचार्य प्रोफेसर प्रेम सरन सत्संगी के सानिध्य में आयोजित हुआ। ई-कास्केड के माध्यम से हुए इसके लाइव प्रसारण से पूरे विश्व के सत्संगी भाई-बहन इससे जुड़े रहे। साथ ही उन्होंने अपने-अपने केंद्रों पर भी विविध धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया।
इस मौके पर सत्संग की पवित्र भूमि खेतों में सुबह के सत्संग व शब्द पाठ के बाद आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम व खेलकूद प्रतियोगिता में सत्संगी भाई-बहनों और बच्चों ने उत्साह से भाग लिया। विशेष बात यह रही कि कार्यक्रम के मुख्य आयोजन स्थल दयालबाग आगरा की तरह लखनऊ सत्संग कॉलोनी, लखनऊ सत्संग भवन आसपास के अन्य क्षेत्रों में भी प्रकृति पर्व बसंत पंचमी को सत्संगी भाई, बहनों और बच्चों ने पर्यावरण प्रेमी के तौर पर मनाया। पूरी कॉलोनी की विशेष साज-सज्जा कर उसे दुल्हन की तरह सजाया, जिसकी मनोरम छटा का आनंद लेने को बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक जुटे। इस पूरे आयोजन में पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण का खास ख्याल रखा गया। साज-सज्जा और सजावट में अधिकांशत: सौर ऊर्जा चलित एलईडी लाइट्स और बल्ब का इस्तेमाल किया गया। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले और वायु प्रदूषण फैलाने वाले दीये-मोमबत्ती इत्यादि चीजों का कतई इस्तेमाल नहीं किया गया।
इस मौके पर आयोजित बेबी शो, फैन्सी ड्रेस-शो, जिमनास्टिक्स एवं विभिन्न प्रकार की खेलकूद प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया।
“आज आया बसन्त नवीन । सखी री खेलो गुरु संग फाग रचाय ।। “
माघ मास में पड़ने वाली पंचमी ‘माघ सुदी पंचमी’, जिसे बसंत पंचमी और ऋतुराज भी कहा जाता है, नई उत्साह, उमंग और ऊर्जा का द्योतक है । शीत ऋतु के पश्चात् बसंत ऋतु प्रारंभ होते ही मानों सभी पशु, पक्षी, मानव व वनस्पति में नई ऊर्जा, उमंग और उत्साह का संचार हो जाता है
“देखो देखो सखी अब चल बसन्त फूल रही जहँ तहँ बसंत । । “
मीडिया समन्वयक प्रेमी भाई एचएन सिंह ने बताया कि इस समय राधास्वामी सत्संग संवत 2005 चल रहा है। बसंत पंचमी का रा-धा-स्व-आ-मी सत्संग में विशेष महत्व है, इसी दिन राधास्वामी मत के प्रथम आचार्य परम पुरूष पूरन धनी हुजूर स्वामी जी महाराज ने
15 फरवरी 1861 को
जगत उद्धार के संदेश संग सत्संग आम जारी फरमाया। राधास्वामी मत के पांचवें आचार्य सर साहबजी महाराज ने
20 जनवरी 1915 को बसंत पंचमी के ही दिन आगरा में राधास्वामी सत्संग मुख्यालय दयालबाग की स्थापना को शहतूत का पौधा लगा नींव रखी थी, जिसने संपूर्ण ब्रह्मांड को नई सत्संग संस्कृति से परिचित कराया। 1 जनवरी 1916 को राधा स्वामी एजुकेशनल इंस्टिट्यूट (आरईआई) मिडिल स्कूल की स्थापना कर शिक्षा और अध्यात्म के समावेश से नई जीवन पद्धति (Way of Life) का संदेश दिया। वर्तमान में यह पौधा दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट समविश्वविद्यालय (Dayalbagh educational institute deemed to be university) के रूप में वट वृक्ष बन पूरे विश्व में अपनी कीर्ति पताका फहराहा रहा है।
“आज आई बहार बसंत उमंग मन गुरु चरनन लिपटाय ।।”
बसंत पंचमी के आगमन से कई पूर्व ही पूरे विश्व में फैला अखिल विश्व रा-धा-स्व-आ-मी सत्संग परिवार अपने-अपने केंद्रों और घरों में उत्साह, उमंग और भक्ति भाव के साथ इसके स्वागत की तैयारियां आरंभ कर देता हैं। सत्संग केंद्रों के साथ-साथ सत्संगी अपने अपने घरों की साफ-सफाई रंग रोगन के साथ उसकी विशेष सजावट करते हैं। इसमें छोटे-छोटे बच्चे नन्हें सुपरमैन से लेकर बड़े बुजुर्ग महिला और पुरुष अपना योगदान देते हैं।
और भक्तिभावपूर्ण रीति से अपने परम पूज्य गुरू महाराज के चरणों में रा-धा-स्व-आ-मी दयाल का शुकराना अदा करते हुए, भक्ति, उमंग व प्रेम-भाव संग आरती, पूजा, ध्यान व अभ्यास में दिन को व्यतीत करते हैं।
“मोहि मिल गए रा-धा-स्व-आ-मी पूरे संत, अब बाजत हिये में धुन अनन्त”