प्राणियों के शरीर में रक्त में सर्वाधिक प्रभाव डालने वाले महान ग्रह पृथ्वी पुत्र मंगल 22 फरवरी की सुबह 4:33 बजे अपनी स्वयं की राशि मेष की यात्रा समाप्त करके शुक्र की राशि वृषभ में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि में मंगल 14 अप्रैल 2021 की मध्यरात्रि 01:10 मिनट तक गोचर करेंगे, उसके बाद मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मंगल के वृषभ में आने से राहु के साथ युति हो जाएगी। इससे 51 दिन तक अंगारक योग बनेगा। वृषभ राशि में इससे पूर्व 19 साल पहले 2002 में यह योग बना था।
हिन्दू पुराणों के अनुसार मंगल और राहु दोनों ग्रह आपस में शत्रुता का भाव रखते हैं, उन्हें एक-दूसरे के साथ अधिक अनुकूल नहीं माना जा सकता है। मंगल और राहु के मिलन से अंगारक दोष बनता है। मंगल ग्रह से आमतौर पर लोग डरते है लेकिन जिसका नाम ही मंगल हो वह अमंगल कैसे कर सकता है। यह ग्रह मंगल देव है लेकिन अशुभ नहीं है।
दीर्घकालिक योग साधना में लगे हुए भगवान शिव के पसीने की एक बूंद से उत्पन्न मंगल अत्यधिक साहसी, परिश्रमी और कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं। जन्मकुंडली में इनके शुभ प्रभाव के फलस्वरूप समाज में अच्छी कामयाबी और ख्याति प्राप्त करता है। कुंडली में ये अपनी राशि या उच्चराशि में होकर केंद्र में हों तो ‘रूचक योग’का निर्माण करते हैं जो पंचमहापुरुष योग में से एक है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि जिन जातकों की जन्म कुंडली में ये मांगलिक योग बनाते हैं उन्हें दांपत्य जीवन में कहीं न कहीं कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ता है और विवाह में विलंब भी होता है।
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इसलिए जिनकी जन्मकुंडली में मांगलिक दोष हो उन्हें इस दोष की शांति अवश्य करा लेनी चाहिए। मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल कर्क राशि में नीचराशि तथा मकर राशि में उच्चराशिगत संज्ञक माने गए हैं। जन्म कुण्डली में हर ग्रह शुभ और अशुभ फल देते है। ऐसे ही मंगल ग्रह भी दोनों तरह के फल देते है। यह ग्रह सदैव सभी के लिए कौतुहल यानि चर्चा का विषय रहा हैं।