सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली शराब नीति मामले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आप नेता मनीष सिसोदिया की जमानत शर्तों में ढील दी। जमानत शर्तों के अनुसार, सिसोदिया को सप्ताह में दो बार जांच अधिकारी को रिपोर्ट करना था। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने शर्तों में ढील देते हुए कहा कि ये जरूरी नहीं हैं।
अदालत ने कहा कि हमारा मानना है कि इस शर्त की जरूरत नहीं है और इसलिए इसे हटा दिया गया है। हालांकि, आवेदक को नियमित रूप से सुनवाई में शामिल होना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया के सामने रखी थी शर्त
इस साल 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कथित शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में सिसोदिया को ज़मानत दे दी थी और कहा था कि बिना किसी सुनवाई के 17 महीने तक जेल में रहने की वजह से उन्हें जल्द सुनवाई के अधिकार से वंचित होना पड़ा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने शर्तें भी लगाई थीं, जिसमें यह भी शामिल था कि उन्हें हर सोमवार और गुरुवार को सुबह 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के सामने पेश होना होगा।
इसमें कहा गया था कि हमारा मानना है कि लगभग 17 महीने तक जेल में रहने और मुकदमा शुरू न होने के कारण अपीलकर्ता (सिसोदिया) को शीघ्र सुनवाई के अधिकार से वंचित किया गया है।
सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जताई दी सहमति
सुप्रीम कोर्ट ने 22 नवंबर को सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी और सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी कर आवेदनों पर जवाब मांगा था। 22 नवंबर को सुनवाई के दौरान सिसोदिया के वकील ने कहा था कि आप नेता 60 बार जांच अधिकारियों के सामने पेश हुए हैं।
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सिसोदिया को अब रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। अगले महीने, 9 मार्च, 2023 को ईडी ने सीबीआई की एफआईआर से उपजे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार किया। उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। सिसोदिया ने आरोपों से इनकार किया है।