केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने भारत के सरकारी संस्थानों का निजीकरण काफी वक्त पहले से ही शुरु कर दिया था। अब मोदी सरकार ने आने वाले वक्त में भारत की की सरकारी संपत्तियों को बेचने का प्लान सार्वजनिक कर दिया है। देश की सरकारी संपत्तियों को बेचकर मोदी सरकार 60 खरब जुटाने की योजना बना रही है। जिसका सभी विपक्षी नेताओं द्वारा विरोध किया जा रहा है।
भारत की सरकारी संपत्तियों को बेचने का विरोध कर रहे नेताओं को अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी समर्थन मिल गया है। सरकारी संपतियां के निजीकरण के मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि ये देश की संपत्ति है ना की किसी भी राजनीतिक दल की।
हम इस बात से बहुत ही दुखी हैं कि भाजपा सरकार इस तरह से देश की सरकारी संपत्तियों को बेचने का फैसला ले रही है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है। पूरा देश उनके साथ इस विरोध में एकजुट होकर खड़ा होगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के उत्तर बंगाल में अलग राज्य की मांग पर भी गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने कहा है कि बंगाल को विभाजित करना इतना सहज नहीं होगा।
इस मामले में भी खेला होगा और हम ही जीत हासिल करेंगे। भारतीय जनता पार्टी इस देश को बेचना चाहती है, बंगाल को बेचना चाहती है।ममता बनर्जी का कहना है कि भाजपा सत्ता में रहने के लिए चुनावों के प्रचार प्रसार पर लाखों करोड़ों रुपए बहाती है। इसी वजह से देश की सरकारी संपत्तियों को बेचा जा रहा है।
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आपको बता दें कि हाल ही में देश के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि मोदी सरकार आने वाले 4 सालों में देश के कई सरकारी कंपनियों का निजीकरण करने जा रही है। जिससे सरकार को 60 खरब रुपए जुटाने में मदद मिलेगी। क्यूंकि सरकार आर्थिक तंगी से जूझ रही है।