उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ योगी सरकार द्वारा लव जिहाद के खिलाफ बने अध्यादेश ने अपना एक पड़ाव और पार कर लिया है। इस पड़ाव को पार करने के बाद अब इस अध्यादेश के सामने सिर्फ एक बाधा और बची है। दरअसल, लव जिहाद को लेकर योगी सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को हरी झंडी दे दी है। अब यह क़ानून छह महीने के भीतर ही विधानसभा में पेश किया जाएगा।
अध्यादेश को 24 को मिली थी कैबिनेट की मंजूरी
आपको बता दें कि बीते 24 नवंबर को यूपी की योगी सरकार की कैबिनेट ने लव जिहाद के खिलाफ बने अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी। इस मंजूरी के बाद अध्यादेश को राज्यपाल के समक्ष भेजा गया था, जिसे शनिवार सुबह मंजूरी मिल गई है।
योगी सरकार द्वारा बनाए गए इस क़ानून के मुताबिक़, अब दूसरे धर्म में शादी से दो माह पहले नोटिस देना अनिवार्य हो गया है। इसके साथ ही जिलाधिकारी की अनुमति भी जरूरी हो गई है। नाम छिपाकर शादी करने पर 10 साल की सजा हो सकती है।
जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन के लिए 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ 1-5 साल की जेल की सजा का प्रावधान है। अगर SC-ST समुदाय की नाबालिगों और महिलाओं के साथ ऐसा होता है तो 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ 3-10 साल की जेल होगी।
यूपी सरकार के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि यूपी कैबिनेट उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 लेकर आई है, जो उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सामान्य रखने के लिए और महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए जरूरी है। 24 नवंबर को उन्होंने कहा कि बीते दिनों में 100 से ज्यादा घटनाएं सामने आई थीं, जिनमें जबरन धर्म परिवर्तन के सामने आए थे। उन्होंने कहा था कि इसमें पाया गया था कि छल-कपट, बल से धर्म परिवर्तित किया जा रहा है।
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अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को निर्धारित प्रारुप पर जिलाधिकारी को 2 महीने पहले सूचना देनी होगी, इसका उल्लंघन किए जाने पर 6 महीने से 3 साल तक की सजा और जुर्माने की राशि 10 हजार रुपये से कम की नहीं होने का प्रावधान है।