सनातन धर्म में युग को चार वर्गों में बांटा गया है। प्रथम को सतयुग, दूसरे को त्रेता, तीसरे को द्वापर और चौथे को कलयुग कहा जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में युगों के बारे में विस्तार से बताया गया है। सनातन धर्म गुरुओं की मानें तो राजा हरिश्चंद्र सतुयग, मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम त्रेता युग, भगवान श्रीकृष्ण द्वापर के समकालीन हैं। ऐसा माना जाता है कि कलयुग में कल्कि अवतार होने वाला है। द्वापर युग में भगवान श्रीकष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। वहीं, राधा जी का जन्म बरसाने में हुआ था। जबकि, भगवान श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल का समय वृन्दावन में बिताया था। इसके लिए मथुरा, वृन्दावन और बरसाने को पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है। दुनियाभर से लोग मथुरा देव दर्शन और ब्रज की होली देखने आते हैं। अगर आप भी आने वाले समय में मथुरा जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो ये अहम बातें जरूर जान लें। आइए जानते हैं-

इन जगहों पर जाएं
मथुरा के कण-कण में भगवान का वास है। हर जगह पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वातवरण बेहद शांत और आनंदप्रिय रहता है। चारों तरफ भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा, अर्चना, आरती और मंत्रोउच्चारण की ध्वनियों से वातावरण भक्तिमय रहता है। अगर आप पर्याप्त समय लेकर देव दर्शन के लिए जाते हैं, तो सेवा कुञ्ज, शाहजी मंदिर, गोवर्धन हिल, बांके बिहारी मंदिर और निधिवन जरूर जाएं। साथ ही भूमि मंदिर, कुसुम सरोवर स्थित मंदिर, प्रेम मंदिर और द्वारकाधीश मंदिर में भी देव दर्शन कर सकते हैं।
क्या करें
मथुरा और वृन्दावन में देव दर्शन से पहले कुसुम सरोवर में स्नान-ध्यान कर सकते हैं। अगर आप तैरना जानते हैं, तो कुसुम सरोवर में आस्था की डुबकी जरूर लगाएं। ऐसी मान्यता है कि कुसुम सरोवर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का मिलान स्थान था। इस सरोवर के पास दोनों एक दूसरे से मिलते थे। वहीं, आप देव दर्शन के बाद मथुरा म्यूजियम और कंस किला भी घूमने जा सकते हैं।
मथुरा जाने का उत्तम समय
जानकारों की मानें तो अक्टूबर से लेकर फरवरी का महीना मथुरा और वृन्दावन जाने के लिए सबसे उपयुक्त है। इस दौरान मौसम बेहद सुहावना रहता है। अन्य महीनों में मथुरा का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रहता है। इसके लिए अक्टूबर का महीना मथुरा जाकर देव दर्शन करने के लिए परफेक्ट है।
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