केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किए गिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2021 के खिलाफ आज आम आदमी पार्टी (आप) ने जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एनसीटी विधेयक दिल्ली में हो रहे विकास को खत्म करने का षडयंत्र है। प्रदर्शन के दौरान पार्टी के कई नेता और सरकार के मंत्री मौजूद रहे।
केजरीवाल ने मोदी सरकार पर लगाए आरोप
केंद्र सरकार से हमेशा दो-दो हाथ करने के मूड में रहने वाले केजरीवाल आज बुधवार को पूरे फॉम में दिखे। उन्होंने एनसीटी विधेयक को लेकर केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि लोग दिल्ली सरकार के काम से जलते हैं। उन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा कि आप की सरकार दिल्लीवासियों को केंद्र से बेहतर सुविधाएं मुहैया करा रही है। उन्होंने यहां तक कहा कि संसद में पेश किया गया नये बिल सत्ता का हस्तांतरण का तरीका है।
केजरीवाल ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। ऐसे में आज जब एनसीटी विधेयक के खिलाफ आम आदमी पार्टी के नेता जंतर-मंतर पर एकत्रित हुए तो यहां भी केजरीवाल ने अपने शब्द बाण छोड़े।
केजरीवाल ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि ‘ये न सुप्रीम कोर्ट को मानते हैं, न संविधान को मानते हैं। भाजपा शासन करने के लिए कुछ भी कर सकती है। सभी सर्वे ये बता रहे हैं कि केंद्र सरकार ठीक नहीं कर रही है। आजादी के 75 साल को हम मनाने जा रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार हमारे साथ अंग्रेजों वाला रवैया अपना रही है।’ कार्यक्रम में केजरीवाल के साथ उनके सभी मंत्री भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
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वहीं, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ‘ऐसा पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार ने दिल्ली की जनता के अधिकारों को कुचलने की कोशिश की है। इससे पहले भी मोदी सरकार उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली की जनता के हित से जुड़े फैसलों को रोकने के लिए अलोकतांत्रिक कदम उठाती रही है।’ ये कोई दिल्ली सरकार को रोकने का प्रयास नहीं इसके पीछे मानसिकता है कि आप पंजाब में आगे न बढ़ जाए, गुजरात में आगे न बढ़ जाए दूसरे राज्यों में आगे न बढ़ जाए। भाजपा नहीं चाहती है कि जनता को आम आदमी पार्टी का मॉडल मिले।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पेश हुआ था। दिल्ली सरकार ने इसका पुरजोर विरोध किया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर कई ट्वीट भी किए थे। उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसे लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ बताया था। सिसोदिया ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया था।