दुनिया के सामने भारत ने पाकिस्तान को लगाई कड़ी फटकार, यूएन महासभा में गूंजी सुधांशु त्रिवेदी की दहाड़

राज्यसभा सांसद (एमपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने पाकिस्तान द्वारा शांति सैनिकों पर संयुक्त राष्ट्र सत्र से ध्यान भटकाने के लिए भारतीय क्षेत्र जम्मू और कश्मीर के बारे में झूठ बोलने की कड़ी आलोचना की। उन्होंने जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया और दोहराया कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के दौरे पर हैं सुधांशु त्रिवेदी

सांसद एवं भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों के साथ भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के एक भाग के रूप में न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के दौरे पर हैं।

यूएन महासभा में शांति अभियानों (पीसकीपिंग मिशन्स) को लेकर जारी चर्चा चल रही थी। सुधांधु त्रिवेदी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। तभी एक दिलचस्प क्षण आया और शांति स्थापना के इसी विषय पर बोलते हुए पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया। पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 1948 में जम्मू और कश्मीर में विवादित क्षेत्र के रूप में शांति सैनिक तैनात किए थे।

जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर किया आरओआर का इस्तेमाल

इस टिप्पणी पर तीखी आपत्ति जताते हुए त्रिवेदी ने तुरंत आरओआर (उत्तर देने का अधिकार) का विकल्प इस्तेमाल किया और सदन में दृढ़ता से कहा कि जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।

उन्होंने मंच को यह भी बताया कि केंद्र शासित प्रदेश में हाल ही में उचित लोकतांत्रिक चुनाव हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मंच का उपयोग गैर-तथ्यात्मक और भ्रामक शब्दों के करने के लिए पाकिस्तान को फटकार लगाई।

अपने भाषण में उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान द्वारा की गई टिप्पणियों का जवाब देना चाहता है, जिसने एक बार फिर इस प्रतिष्ठित संस्था को उसके एजेंडे से भटकाने का प्रयास किया है। हम यह बताना चाहेंगे कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।

पाकिस्तान को दी ख़ास सलाह

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने हाल ही में अपने लोकतांत्रिक और चुनावी अधिकारों का प्रयोग किया है और एक नई सरकार चुनी है। पाकिस्तान को इस तरह की बयानबाजी और झूठ से बचना चाहिए क्योंकि इससे तथ्य नहीं बदलेंगे। इस मंच के सम्मानित सदस्यों के सम्मान के कारण, भारत संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं का उपयोग या दुरुपयोग करने के पाकिस्तान के किसी भी प्रयास का जवाब देने से परहेज करेगा।

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एक्स पर अपनी पोस्ट में त्रिवेदी ने लिखा कि संयुक्त राष्ट्र में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों पर चर्चा के दौरान जब पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के विषय पर बोलते हुए विषय से भटकाने की कोशिश की, तो उन्होंने अनावश्यक रूप से उल्लेख किया कि संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के साथ पाकिस्तान की भागीदारी तब शुरू हुई जब संयुक्त राष्ट्र ने 1948 में विवादित क्षेत्र जम्मू और कश्मीर में शांति सैनिक तैनात किए थे।