महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट के बीच अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी एक्शन में आ गए हैं। दरअसल कोश्यारी कोरोना संक्रमित होने कीवजह से अस्पताल में भर्ती थे, लेकिन अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद कोश्यारी ने महाराष्ट्र सरकार से तीन दिन की फाइलों का हिसाब मांगा है। जिस तरह से महाराष्ट्र में सियासी संकट चल रहा है उसमे राज्यपाल की भूमिका काफी अहम होती है। शिवसेना के बागी विधायकों के चलते पार्टी में दो फाड़ हो गई है, यही वजह है कि महाविकास अघाड़ी की सरकार संकट में है।
भगत सिंह कोश्यारी ने प्रदेश के प्रमुख सचिव संतोष कुमार को 22 से 24 जून के बीच सरकार द्वारा लिए गए फैसलों, प्रस्तावों से अवगत कराएं। गौर करने वाली बात है कि तीन दिन के भीतर 160 सरकारी प्रस्ताव जारी किए गए हैं। ये प्रस्ता करोड़ो रुपए के हैं। इसी को लेकर राज्यपाल ने महाविकास अघाड़ी की सरकार से जवाब मांगा है। जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र सरकार ताबड़तोड़ फैसले ले रही थी उसके खिलाफ प्रवीण दरेकर ने राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई थी। उन्होंने आग्रह किया था कि इन फैसलों पर वह हस्तक्षेप करें।
शिवसेना के बागी विधायक अगर भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश करते हैं तो राज्यपाल की भूमिका काफी अहम हो जाती है। सरकार को बनाने या फिर उसे भंग करने का दावा राज्यपाल के पास ही देना होता है, लिहाजा अब हर किसी की नजर राजभवन पर भी रहेगी। गौर करने वाली बात है कि शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे की अगुवाई में असम के गुवाहाटी स्थित रैडिसन ब्लू होटल में ठहरे हैं। बीते कुछ दिनों से ये बागी विधायक यहीं से अपनी रणनीति बना रहे हैं।
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बता दें कि डिप्टी स्पीकर ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्य करार देने के लिए नोटिस जारी किया था, इन विधायकों से 27 जून तक जवाब देने के लिए कहा गया था। जिसके खिलाफ इन बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और कहा था डिप्टी स्पीकर के पास यह नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई तक इन विधायकों को जवाब देने का समय दिया है। साथ ही कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराने के खिलाफ अग्रिम फैसला देने से इनकार कर दिया है।