अमेरिकी संसद के निचले सदन में पहली हिंदू सांसद रही तुलसी गबार्ड ने भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की निंदा करते हुए कहा है कि पूरी दुनिया को जिहादी आतंकवाद की विचारधारा का सामना करने के लिए आगे आना होगा।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले
हवाई से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के लिए चुनी गई पूर्व सांसद तुलसी गबार्ड ने एक वीडियो संदेश में कहा कि कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी उग्रवादियों ने हिंदू मंदिरों पर हमले किए। उन्होंने एक ट्रेन में आगजनी की, सरकारी इमारतों, प्रेस क्लब, सार्वजनिक बसो को नुकसान पहुंचाया। इन घटनाओं में अनेक लोग घायल हुए व मारे गए।
पूर्व सांसद ने कहा कि इस्लामिक कट्टरपंथियों को इस्लाम धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की आजादी के बाद भी वहां हिंदुओं और अन्य धर्मावलंबियों के उत्पीड़न का सिलसिला रुका नहीं है। इस्लामी कट्टरपंथियों के अल्पसंख्यक विरोधी अभियान के कारण लोगों पर हमले हो रहे हैं और उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है। घर जलाए जा रहे हैं और उन्हें घर छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस तथ्य का उल्लेख किया कि बीसवीं शताब्दी के शुरू में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 33 प्रतिशत थी जो आज घटकर केवल 8 प्रतिशत रह गई है।
इस्लामी जिहादी आतंकवाद और इस्लामी गुटों के बारे में अमेरिकी सरकार की आलोचना करते हुए तुलसी गबार्ड ने कहा कि अमेरिका सहित पूरी दुनिया को कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा की निंदा करनी चाहिए तथा इसे हराने के लिए कृत संकल्प होना चाहिए।
तुलसी ने 50 वर्ष पूर्व बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान वहां पाकिस्तानी सेना द्वारा हिंदू अल्पसंख्यकों सहित आम जनता के खिलाफ किए गए अत्याचारों का ब्यौरा देते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं का सिलसिला परोपकार नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया को ऐसी जिहादी विचारधारा की चुनौती का सामना करना है जो गैर मुस्लिमों और तथाकथित भटके हुए मुसलमानों को खत्म करना चाहते हैं। यह विचारधारा इन लोगों को गुलाम या दूसरे दर्जे का नागरिक बना कर रखना चाहती है। इस सिलसिले में उन्होंने पाकिस्तान को एक उदाहरण के रूप में पेश किया।
अमेरिकी पूर्व सांसद की टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश की हाल की यात्रा के कुछ दिन बाद आई है। मोदी की यात्रा के दौरान बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों ने देश के विभिन्न भागों में विरोध प्रदर्शन किए थे तथा व्यापक हिंसा की थी। सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कई प्रदर्शनकारी मारे भी गए थे।
तुलसी गबार्ड ने वर्ष 1971 की घटनाओं का ब्यौरा देते हुए कहा कि 50 वर्ष पहले पाकिस्तानी सेना ने हत्या और बलात्कार का तांडव किया था तथा लाखों बंगाली हिंदुओं को बेघर होना पड़ा था। 25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना ने अवैध तरीके से योजनाबद्ध तरीके से हिंदुओं को निशाना बनाया। ढाका विश्वविद्यालय के जगन्नाथ हाल को निशाना बनाया गया।
हिंदुओं के आवास में एक रात के अंदर ही 10,000 तक लोगों की हत्या कर दी गई। हिंसा का यह तांडव अगले 10 महीने तक जारी रहा जिसमें 20 से 30 लाख तक लोग मारे गए।
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पूर्व सांसद ने कहा कि लाखों महिलाओं और बालिकाओं के साथ बलात्कार किया गया था तथा एक करोड़ लोग शरणार्थी बनने पर मजबूर हो गए। उन्होंने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना की करवाई के संबंध में प्रसिद्ध अमेरिकी सीनेटर टेड कैनेडी की रिपोर्ट का हवाला दिया। केनेडी ने उस समय बांग्लादेशी शरणार्थियों तथा उनके नरसंहार के बारे में तथ्य उजागर किए थे।