मुंबई की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने कहा कि पैसों के लेनदेन से प्रथम दृष्टया यह संकेत मिलता है कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पूर्व पुलिसकर्मी सचिन वाजे तथा अपने सहायक कुंदन शिंदे से 4.7 करोड़ रुपये लिए थे। अदालत ने कथित धन शोधन के एक मामले में वाजे और अन्य के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने इस महीने मामले में वाजे, देशमुख के निजी सचिव (अतिरिक्त जिलाधीश पद के अधिकारी) संजीव पलांदे, निजी सहायक शिंदे और 11 अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने 16 सितंबर को आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था और अदालत का विस्तृत आदेश शनिवार को उपलब्ध हुआ। अदालत ने अपने आदेश में कहा, बयानों और आरोप का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने पर पैसों के लेनदेन से प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि अनिल देशमुख को सचिन वाजे और कुंदन शिंदे से 4.7 करोड़ रुपये मिले थे।
अदालत ने कहा कि देशमुख ने इस धनराशि को ऋषिकेश देशमुख के निर्देशों पर ‘हवाला’ के जरिए मामले में सभी आरोपियों सुरेंद्र जैन और वीरेंद्र जैन को भेज दिया। फिर इस पैसे को उन कंपनियों के जरिए श्री साई शिक्षण संस्था के खाते में जमा कर दिया गया जो केवल कागजों पर थी। यह संस्था देशमुख की है। अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) से संबंधित प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत हैं।
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ऋषिकेश देशमुख राज्य के पूर्व गृह मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अनिल देशमुख के बेटे हैं। मुंबई पुलिस के पूर्व सहायक इंस्पेक्टर वाजे को फरवरी में यहां उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास एक एसयूवी मिलने के मामले में इस साल मार्च में गिरफ्तार किया गया था। इस एसयूवी में विस्फोटक सामग्री मिली थी। पीएमएलए अदालत ने आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद सभी आरोपियों को सम्मन जारी किए। मामले की सुनवाई 27 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।