भारत-चीन सीमा पर ग्लेशियर की चपेट मे आए 384 मजदूरों को सेना ने सुरक्षित बचा लिया है। इस आपदा में आठ मजदूरों की मौत हो गई। उनके शव बरामद हो गए हैं। शुक्रवार रात से सेना का राहत-बचाव अभियान जारी है। मुख्यमंत्री और आपदा प्रबंधन मंत्री ने प्रभावित क्षेत्र का हवाई निरीक्षण किया।
सेना की बहादुरी से बची सैकड़ों जिंदगियां
ग्लेशियर टूटने से शुक्रवार शाम बीआरओ के कैंप में रह रहे करीब 400 मजदूर चपेट मे आ गए। सूचना मिलते ही सेना ने मोर्चा संभाला। देररात तक सेना की वहां तैनात महार रेजीमेंट के जवानों ने करीब 150 लोगों को सुरक्षित निकाला। शनिवार सुबह तक सेना 384 मजदूरों को सुरक्षित निकाल चुकी है। अब तक आठ शव बरामद किए जा चुके हैं। इस बीच मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, आपदा प्रबंन्धन मंत्री डा. धन सिंह रावत और बदरीनाथ के विधायक महेन्द्र भट्ट ने सुमना क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया।
सेना के हेलीपेड पर मुख्यमंत्री ने मीडिया को बताया कि सेना और जिला प्रशासन का राहत-बचाव अभियान जारी है। सेना न पूरी रात बर्फ की परवाह किए बिना सैकडों मजदूरों को बचा लिया है। उल्लेखनीय है कि इस इलाके में बीआरओ सीमावर्ती अग्रिम चौकियों तक सड़क का निर्माण करवा रहा है। यहां झारखंड और अन्य प्रदेशों के मजदूर काम कर रहे हैं।
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इस बीच लगातार चार दिन से हो रही बर्फबारी के बीच ग्लेशियर के टूटने से यह हादसा हो गया। घायल छह मजदूरों का सेना के चिकित्सक उपचार कर रहे हैं। उन्हें सेना के हेलीकॉप्टर से हायर सेंटर पंहुचाने की व्यवस्था की जा रही है। जिला प्रशासन और बीआरओ के आला अधिकारी मौके के लिए रवाना हो चुके हैं। सुराई थोटा से कुछ दूर भापकुंड से सुमना तक सड़क बर्फ से अटी है। इस कारण सेना के वाहन भी टायरों पर चैन लगाकर ही आगे जा पा रहे हैं।