किसान आंदोलन के बीच किसानों ने सरकार से की एक और बड़ी मांग, दे डाली कड़ी चेतावनी

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने एक बार सरकार  को कड़ी चेतावनी दी है। दरअसल, किसानों का कहना है कि अगर किसानों से खरीदे गए गेंहू का भुगतान तीन जून तक नहीं किया जाता, तो वे मंडियों के गेट पर ताला लगाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। यह चेतावनी हरियाणा के जींद जिले स्थित खटकड़ टोल पर धरना दे रहे किसानों ने दी।

किसानों की अगुवाई कर रहे किसान नेता ने सरकार पर साधा निशाना

एक न्यूज पोर्टल के मुताबिक़, भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के जिलाध्यक्ष आजाद पालवां व किसान नेता सतबीर पहलवान ने कहा कि गेंहू खरीद का सत्र शुरू हुए दो महीने बीत चुके हैं लेकिन अब तक कई किसानों के खाते में उनकी राशि नहीं आई है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गेहूं बेचने के 72 घंटे में भुगतान करने के दावे किए गए थे। किसान नेताओं ने कहा कि तीन जून तक अगर किसानों के खाते में गेंहू के पैसे नहीं आए तो किसान मंडी के सभी गेटों पर ताले लगाएंगे।

उन्होंने कहा कि हिसार के आयुक्त ने दावा किया था कि किसानों के साथ हुई बैठक में भरोसा दिया गया था कि सरकारी कार्यक्रम का विरोध किसान नहीं करेंगे जो पूरी तरह से गलत है। ऐसे कोई समझौता किसानों के साथ हुई बैठक में नहीं हुआ था। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि हिसार के आयुक्त आंदोलन कमजोर करने के लिए सरकार के इशारे पर ऐसा बयान दे रहे हैं।

संयुक्त किसान मोर्चो ने शनिवार को कहा कि किसान पांच जून को भाजपा सांसदों और विधायकों के कार्यालयों के सामने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर ‘संपूर्ण क्रांति दिवस’ मनाएंगे। पिछले साल इसी दिन अध्यादेश लागू किए गए थे। अध्यादेश लागू होने के बाद पिछले साल सितंबर में संसद में तीनों कानून पारित किए गए और बाद में राष्ट्रपति ने इसपर मंजूरी दे दी।

केंद्र के तीनों कानूनों को वापस लिए जाने और अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर हजारों किसान पिछले साल नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं।

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प्रदर्शन में शामिल 40 से ज्यादा किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि पांच जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति की घोषणा की थी और तत्कालीन केंद्र सरकार के खिलाफ जन आंदोलन शुरू किया था। पिछले साल सरकार ने पांच जून को ही अध्यादेश के तौर पर किसान विरोधी कानूनों को प्रस्तुत किया था।