कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई महीनों से जारी किसान आंदोलन में बढचढ कर हिस्सा लेने वाली भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर किसानों के मुद्दों को उठाया है। हालांकि इस बार किसान नेता ने पहाड़ी किसानों के मुद्दों को उठाया है। इस दौरान उन्होंने सरकार से बड़ी मांग की है।
किसान नेता ने कहा- पहाड़ के किसानों के मुद्दे अलग
दरअसल, उत्तराखंड के देहरादून में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि पहाड़ के किसानों के अलग मुद्दे हैं। मैदानी भाग के अलग मुद्दे हैं। पहाड़ के किसानों के लिए सरकार को नीति बनानी चाहिए। सरकार यहां सड़कें बनाए और पर्यटन पर काम करे। सभी इस आंदोलन से जुड़े हैं। हम वापस नहीं जाएंगे।
इससे पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को होने वाली भाकियू की महापंचायत में आर-पार की रणनीति तैयार होगी। टिकैत ने केंद्र सरकार से तीनों नए कृषि कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग को दोहराते हुए कहा कि ये कृषि कानून किसान मजदूर और आमजन के विरोधी हैं।
टिकैत ने कहा कि किसानों को बर्बाद करने के लिए बिना मांगे ये कृषि कानून देश के किसानों पर थोप दिए गए हैं, जिससे किसान पहले कर्ज में डूबेगा, फिर धीरे-धीरे पूंजीपति किसानों से उनकी जमीन हड़पने का काम करेंगे। देश के लोग किसान आंदोलन से नहीं वैचारिक क्रांति से जुड़ रहे हैं।
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राकेश टिकैत ने किसानों से पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत में ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लेने की अपील की थी। टिकैत ने कहा कि सरकार केवल इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का आंदोलन बता रही है, लेकिन इसमें 550 से अधिक किसान संगठन जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार यह गलतफहमी छोड़ दे कि किसान थक कर घर वापस चले जाएंगे।