कब्ज़ा करने की नियत से उग्रवादियों ने शिव मंदिर में की तोड़फोड़, लगाई आग

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के उदियागढ़ी गांव में बीते बुधवार को उग्रवादियों की भीड़ ने एक शिव मंदिर पर कब्ज़ा करने की नियत से जमकर तोड़फोड़ की। यह इलाका नौझील पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है। रिपोर्ट के अनुसार, उग्रवादियों ने मंदिर में तोड़फोड़ की, देवताओं की मूर्तियों को तोड़ दिया और परिसर में आग लगा दी। ग्रामीणों द्वारा खदेड़े जाने के बाद वे भाग गए।

मंदिर के भीतर अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करना चाहते थे चरमपंथी

प्रारंभिक जांच के दौरान स्थानीय लोगों ने बताया कि इस आपराधिक कृत्य के पीछे अंबेडकरवादी लोग हैं। चरमपंथी कथित तौर पर मंदिर के भीतर बीआर अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करना चाहते थे। उन्होंने प्राचीन शिव मंदिर के ऊपर रखे त्रिशूल और सर्प को नष्ट कर दिया। देवताओं की मूर्तियों को तोड़ दिया गया और आग लगा दी गई।

इसी दौरान, चरमपंथियों ने मंदिर के अंदर बीआर अंबेडकर की एक फोटो फ्रेम रख दी। सोशल मीडिया पर शेयर की गई तस्वीरों में परिसर को हुए नुकसान को साफ तौर पर देखा जा सकता है।

स्थानीय लोगों ने पुलिस को दी सूचना

स्थानीय लोगों को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने उग्रवादियों को और अधिक तोड़फोड़ करने से रोका। उन्होंने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद एक टीम घटनास्थल पर पहुंची।

इलाके में भारी पुलिस बल तैनात

नौझील थाना प्रभारी शैलेंद्र सिंह और उपनिरीक्षक अरविंद सिवाल ने विवाद को शांत करने की कोशिश की। कानून व्यवस्था की स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए इलाके में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया।

वहीं, पुलिस ने मंदिर परिसर में चल रहे मरम्मत कार्य का निरीक्षण किया। थाना प्रभारी शैलेंद्र सिंह के अनुसार, मंदिर की देवी-देवताओं की प्रतिमा वाली टाइलें हटा दी गईं।

5 उग्रवादियों के खिलाफ मामला दर्ज

पुलिस को कुल 5 उग्रवादियों के खिलाफ शिकायत मिली है, जो प्राचीन शिव मंदिर में तोड़फोड़ करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी पहचान पवन, राजू, लोकेंद्र, कृष्णा और रोहित के रूप में हुई है। पुलिस ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। नौझील पुलिस ने उग्रवादियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।

यह भी पढ़ें: महाकुंभ 2025 में यूपी पैवेलियन बनाने की तैयारी शुरू, जानियें इसकी विशेषता

गुरुवार (26 दिसंबर) को पुलिस की मौजूदगी में गांव के बाहर पंचायत की बैठक हुई। बताया जा रहा है कि मंदिर में पूजा करने वाले ज़्यादातर ग्रामीण अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से हैं।