लखनऊ। जन्म और शिशु लीला स्वर्ग में भी दुर्लभ है। देवता भी इस सुख की कामना करते हैं। संस्कारों की परम्परा और रीति रिवाज हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग हैं जिन्हें भुलाना अपनी जड़ों से कटना है। यें बातें लोक चौपाल की चौधरी डा. विद्या विन्दु सिंह ने सोमवार को लोक संस्कृति शोध संस्थान की मासिक लोक चौपाल में कहीं।

शिशु पालन, रीति रिवाज और परम्परा पर केन्द्रित चौपाल का शुभारम्भ लोक गायिका वन्दना शुक्ला ने गणेश वन्दना और देवी गीत से किया। वरिष्ठ साहित्यकार डा. करुणा पाण्डे ने सोलह संस्कारों और उनकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कनाडावासी प्रवासी डा. स्मिता मिश्रा ने लोक में सतमासा गायन की परम्परा पर चर्चा की। बोकारो से आईं संगीता पांडेय ने शिशु पालन की पारम्परिक विधियां बतायीं। चौपाल की संयोजक श्रीमती हेमलता त्रिपाठी और कल्पना त्रिपाठी ने सभी का स्वागत किया।
लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि चौपाल में सांगीतिक प्रस्तुतियां भी हुईं जिसमें कलाकारों ने पारम्परिक सोहर गीत प्रस्तुत किये। इस अवसर पर आध्वन मणि के प्रथम जन्मदिवस का बधैया गीत भी प्रस्तुत किया गया। स्वरा त्रिपाठी ने जुग जुग जियसु ललनवा तथा पर्णिका श्रीवास्तव ने जन्में अवध में राम पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में रुपाली रंजन श्रीवास्तव, आशा सिंह रावत, उड़ान डांस एकेडमी की निदेशक सरिता सिंह, रागिनी श्रीवास्तव, ज्योति किरन रतन, सौरभ कमल, भजन गायक गौरव गुप्ता, संगीता खरे, हरीतिमा पंत, भूषण अग्रवाल, रीता पांडेय, ईशा-मीशा आदि की प्रस्तुतियां हुईं। जादूगर सुरेश कुमार ने जादू के हैरतअंगेज करतब दिखाये। इस अवसर पर नवयुवक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भरत कात्यायन, मदन पांडेय, एस.के.गोपाल आदि की प्रमुख उपस्थिति रही।
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