वाराणसी। माथे पर त्रिपुंड और नंगे बदन सिर पर लम्बी चुटिया बांध धोती पहने बाल बटुकों और संस्कृत के विद्यार्थियों को देख लोग अनुमान लगाते है कि ये पूजा पाठ, कर्मकांड कराने तक ही सीमित है। लेकिन ऐसा नही है बटुक भी खेल में खासकर क्रिकेट मैच में पारम्परिक वेश भूषा में प्रतिभा दिखाकर देश और प्रदेश का नाम रोशन कर सकते है। ये उद्गार बाल बटुक खिलाड़ी सोनू ब्रम्हचारी, विशाल ब्रम्हचारी के है। तन पर धोती-सिर पर चोटी-हाथों में बल्ला, इस क्रिकेट मैच का तो आनन्द ही और था।
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तन पर धोती-सिर पर चोटी-हाथों में बल्ला, इस क्रिकेट मैच का तो आनन्द ही और था: गुरूवार को सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के खेल मैदान में क्रिकेट मैच खेलने आये दोनों खिलाड़ी ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से रूबरू थे। विशाल ने बताया कि अपने सनातन संस्कृति की वेश भूषा में मैच खेलकर अलग ही अनुभव हुआ। अच्छा भी लगा कि पूरे मैच की कमेन्ट्री देव भाषा संस्कृत में हुई। लोगों को मैच में आनंद भी आ रहा था। क्रिकेट की वेश-भूषा व भाषा देवनागरी रही।
तन पर धोती-सिर पर चोटी-हाथों में बल्ला, इस क्रिकेट मैच का तो आनन्द ही और था: प्रतियोगिता के संचालक आचार्य पवन शुक्ल ने बताया कि सभी बटुक खिलाड़ी (14 से 18 वर्ष के बीच ) अपने परंपरिक गणवेश धोती व कुर्ता में टीका-त्रिपुण्ड लगाकर मैदान पर क्रिकेट खेलने उतरे। सभी खिलाड़ियों में मैच जीतने का काफी जोश था। जिन हाथों में सदैव वेद व संस्कृत ग्रंथ देखने को मिलता है उन्हीं हाथों में बैट व बाल देख कर लोगों को इनके बहुमुखी प्रतिभा का एहसास हुआ। उन्होंने बताया कि शास्त्रार्थ महाविद्यालय पिछले दस वर्षो से इस प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है। इसके पीछे की सोच है कि संस्कृत के विद्यार्थी भी किसी से कम नही है।